विशाल रिटेल की योजना जून 2009 तक सभी कर्जों का पुनर्गठन करने की है। कंपनी भविष्य में अपना बकाया भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।
विशाल रिटेल के अध्यक्ष अंबीक खेमका ने कहा, कि उनकी कंपनी कम ब्याज दर पर 730 करोड़ रुपये के कर्ज को पुनर्गठित करने की सोच रही है। ताकि परिचालन को सुचारू रूप से चलाने में कोई दिक्कत न हो।
कंपनी को 31 मार्च 2009 तक 140 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जिसमें से उसने 50 करोड़ रुपये चुकाए हैं। बाकी बचे 90 करोड़ रुपये बकाये पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं देते हुए खेमका ने कहा, ‘यह प्रक्रिया अभी चल रही है और हम सारे कर्ज की पुरर्संरचना में लगे हुए हैं।’
कर्ज की ब्याज दर 13 से 14 फीसदी है और इस हिसाब से उम्मीद की जा रही है कि वित्तीय वर्ष 2009 में कंपनी को 100 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में चुकाने पड़ेंगे, जो पिछले वर्ष 38 करोड़ रुपये था।
खेमका बताते हैं, ‘हमने जो कर्ज लिए हैं, उसकी ब्याज दर कम होकर 10 से 11 फीसदी हो जाएगी, क्योंकि कुछ बैंकों ने पुनर्संरचना के तहत 9.75 फीसदी पर लंबी अवधि के लिए कर्ज मुहैया कराने की स्वीकृति दी है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज की पुनर्संरचना से कंपनी की वित्तीय समस्या छोटी अवधि के लिए ही दूर होगी।
एंजल ब्रोकिंग के विश्लेषक राघव सहगल कहते हैं, ‘730 करोड रुपये की कर्ज पुनर्संरचना से कंपनी को कुछ समय तक राहत तो मिलेगी, लेकिन छोटी अवधि के लिए ब्याज की दर 14 फीसदी होती है। हालांकि कंपनी अभी भी लंबी अवधि के कर्ज पर 10 फीसदी ब्याज दर देती है। अनुमान है कि कंपनी की कर्ज-इक्विटी अनुपात वित्तीय वर्ष 2010 में 2.6 रहेगी। यह काफी चिंताजनक स्थिति है।’
कंपनी ने हिन्दुस्तान पेट्रोलिय कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) से भी समझौता तोड़ लिया है और अपनी एपेरेल निर्माण इकाई भी बंद कर दी है। खेमका कहते हैं, ‘एचपीसीएल पर हमारे स्टोर से मुनाफा नहीं हो रहा था और हमलोग इससे छुटकारा पाना चाहते थे। अब हम अपने मुख्य कारोबार पर ही ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’
कंपनी लाभ में नहीं चल रहे स्टोरों के लोकेशन को बदलने की प्रक्रिया में है। कंपनी के पास अभी 28 लाख वर्ग फुट रिटेल स्पेस है। तीसरी तिमाही में कंपनी के शुद्ध मुनाफे में 86 फीसदी की कमी हुई थी।
