स्पैम की समस्या से मुकाबले के लिए नई डिजिटल कंसेंट एक्वीजिशन (डीसीए) प्रौद्योगिकी की पेशकश अनिवार्य बनाए जाने के कुछ महीनों के बाद भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दूरसंचार ऑपरेटरों को बताया है कि धीमी क्रियान्वयन प्रक्रिया की वजह से यह कारगर नहीं हो पा रही है।
स्पैम के बढ़ते मामलों के संबंध में एक ताजा बैठक में ट्राई ने रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल जैसी कंपनियों द्वारा सिस्टम में निजी व्यवसायों को जोड़ने की सुस्त रफ्तार पर चिंता जताई। हालांकि दूरसंचार कंपनियों ने इसके लिए उद्योग से कमजोर प्रतिक्रिया को जिम्मेदार बताया।
देश में स्पैम और अत्यधिक टेली-कॉलिंग के तेजी से बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए जून, 2023 में नियामक द्वारा डीसीए को पहली बार अनिवार्य किया गया था। जून में ट्राई के टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशन कस्टमर प्रिफरेंस रेग्युलेशंस, 2018 (टीसीसीसीपीआर-2018) के तहत जारी डीसीए को दो महीने में चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाना था।
पिछली व्यवस्था में, ग्राहक की मंजूरी बैंकों, वित्तीय संस्थानों, बीमा कंपनियों, ट्रेडिंग कंपनियों, व्यावसायिक इकाइयों और रियल एस्टेट कंपनियों जैसी मूल इकाइयों (पीई) द्वारा प्राप्त की जाती है। समस्या अक्सर तब शुरू होती है जब ये व्यवसायी अपने ग्राहकों को एसएमएस टेक्स्ट भेजने के लिए किसी टेलीमार्केटर से बल्क में शॉर्ट मैसेजिंग सर्विस (एसएमएस) खरीदते हैं।
टेलीमार्केटर को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा संचालित डिजिटल लेडर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) प्लेटफॉर्मों पर पंजीकृत होने की जरूरत होती है। दूरसंचार अधिकारियों का कहना है कि पीई को नए मानकों पर सहमत होने और नई प्रणाली से जुड़ने के लिए प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत होगी।
डीसीए उन ब्रांडों या कंपनियों के लिए ग्राहकों की सहमति लेगा जिनसे वे संचार प्राप्त करना चाहेंगे। इससे डिजिटल लेडर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) प्लेटफॉर्मों पर ग्राहक की सहमति प्राप्त करने की प्रक्रिया भी तेज होगी।
डीएलटी प्लेटफॉर्म दूरसंचार कंपनियों द्वारा संचालित आईडी और टेम्पलेट के रिकॉर्ड के रखरखाव के लिए डिजिटल सिस्टम हैं। व्यवसायियों को जरूरी जानकारियां सौंपकर डीएलटी पर पंजीकरण कराने की जरूरत होती है। ऐसा नहीं करने वालों को असंगठित श्रेणी के टेलीमार्केटर के तौर पर समझा जाता है।