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आकाश एजुकेशनल सर्विसेज अगले तीन साल में 800 करोड़ रुपए से 1,000 करोड़ रुपए के निवेश की योजना बना रही है, ताकि अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल क्षमताओं और AI-ड्रिवन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स को बेहतर बनाया जा सके। यह जानकारी आकाश एजुकेशनल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक मेहरोत्रा ने सोमवार को दी।
1988 में शुरू हुई नई दिल्ली स्थित यह एजुकेशन प्रोवाइडर अब भारत के छोटे शहरों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। कंपनी टियर-3 और टियर-4 शहरों में क्वालिटी कोचिंग की बढ़ती मांग पर दांव लगा रही है।
मणिपाल सिस्टम्स और ब्लैकस्टोन जैसे निवेशकों द्वारा सपोर्टेड यह कंपनी मुख्य रूप से छात्र-छात्राओं को मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवाती है। अब यह अपने “Aakash 2.0” रणनीति के तहत नए कोचिंग सेंटर, डिजिटल प्लेटफॉर्म और AI-ड्रिवन लर्निंग प्रोग्राम्स शुरू कर रही है।
यह विस्तार ऐसे समय में हो रहा है जब भारत के एडटेक सेक्टर में एकीकरण देखा जा रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद इस सेक्टर में जबरदस्त उछाल आया था, लेकिन अब इसमें सुस्ती दिख रही है। कई कंपनियां, जिन्होंने फिजिकल कोचिंग में आक्रामक रूप से विस्तार किया था, अब उसे सीमित कर रही हैं या अपने संचालन बंद कर रही हैं।
हालांकि, आकाश को छोटे शहरों में बड़ा अवसर दिख रहा है, जहां उच्च गुणवत्ता वाली कोचिंग की मांग लगातार बढ़ रही है। कंपनी का लक्ष्य अगले चार सालों में ऑनलाइन और हाइब्रिड लर्निंग से होने वाली आय को बढ़ाकर 20-25% करना है, जो अभी सिर्फ 5% है।
मेहरोत्रा ने कहा कि टियर-3 और टियर-4 शहरों में सबसे बड़ी चुनौती माता-पिता को यह समझाना है कि उनके बच्चों को उतनी ही अच्छी शिक्षा मिलेगी, जितनी बड़े शहरों में मिलती है।
इन इलाकों में छात्राओं के नामांकन में भी तेजी देखी गई है, क्योंकि माता-पिता अपनी बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता देने लगे हैं। खासतौर पर तब, जब उनके ही शहर में कोचिंग की सुविधा उपलब्ध होती है।
मेहरोत्रा ने कहा, “हमारे विस्तार का पिछला चरण छोटे शहरों में था, लेकिन ये टियर-4 शहर नहीं थे। हमारे छात्रों में 35% से अधिक लड़कियां हैं।”
हाल ही में ब्लैकस्टोन ने शेयरहोल्डर अधिकारों में बदलाव को लेकर दायर अपनी याचिका वापस ले ली। यह विवाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस आदेश से जुड़ा था, जिसने एक असाधारण आम बैठक (EGM) के दौरान आकाश द्वारा अपने आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में बदलाव करने के प्रयासों को रोक दिया था। ब्लैकस्टोन समर्थित सिंगापुर टॉपको ने दावा किया था कि ये बदलाव उसके निवेश को कमजोर करेंगे और आकाश की वैल्यू कम करेंगे। आकाश में इस कंपनी की 6.8% हिस्सेदारी है।
मेहरोत्रा ने कहा, “हम निवेशकों की चिंताओं को हल करने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि हम सही प्रकार के डेब्ट-इक्विटी मिक्स के साथ अधिक आक्रामक रूप से Aakash 2.0 रणनीति में निवेश कर सकें।”
उन्होंने आगे कहा, “हम निवेशकों के बीच ऐसा माहौल बना रहे हैं, जहां वे एक-दूसरे से बात करें, न कि एक-दूसरे के खिलाफ। इससे हमें वह निवेश जुटाने में मदद मिलेगी, जो आकाश को अगले स्तर तक ले जाने के लिए जरूरी है।”