नकदी बाजार के टर्नओवर में 100 अग्रणी कंपनियों की हिस्सेदारी पिछले एक साल में काफी ज्यादा घटी है। मई 2020 के 87 फीसदी के मुकाबले अब यह घटकर करीब 50 फीसदी रह गई है। यह बताता है कि कीमत व वॉल्यूम दोनों लिहाज से ट्रेडिंग अब व्यापक बाजार में शिफ्ट हो गई है।बाजार के विशेषज्ञों ने कहा, स्मॉल व मिडकैप सूचकांकों के उम्दा प्रदर्शन और खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के परिणामस्वरूप यह बदलाव आया है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, म्युचुअल फंडोंं के काफी निवेशकों ने अपना निवेश स्मॉल व मिडकैप शेयरों में लगा दिया है। साथ ही पिछले कुछ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत में बहुत ज्यादा निवेश नहीं किया है। वे सामान्य तौर पर 100 अग्रणी कंपनियों में निवेश करते हैं। इसके अतिरिक्त खुदरा निवेशक अब सटोरिया कारोबार में शामिल होने लगे हैं।
अप्रैल व मई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने इन दोनों महीनों में 12,613 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। एफपीआई देश के बड़े व सबसे ज्यादा लिक्विड शेयरों में दांव लगाने के लिए जाने जाते हैं।
व्यापक बाजार के हक में इस तरह की शिफ्टिंग बाजार में कुछ साल तक मुनाफे पर संकेंद्रण के बाद देखने को मिली है। आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, पहले बाजार काफी संकीर्ण था। लोग 100 अग्रणी गुणवत्ता वाले शेयर खरीदते थे और विदेशी फंडों की भागीदारी, स्थानीय निवेशकों के मुकाबले ज्यादा थी। पिछले साल खुदरा भागीदारी बढ़ी क्योंकि ब्याज दरों में काफी तेज गिरावट देखने को मिली। साथ ही शेयर बाजारों ने बेहतर रिटर्न की पेशकश की।
इस साल स्मॉल व मिडकैप शेयर बढ़त की राह पर हैं। बीएसई मिडकैप में इस साल अब तक 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और कैलेंडर वर्ष के हर महीने में यह चढ़ा है। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में इस साल 36 फीसदी की उछाल आई है। इसकी तुलना में बीएसई 100 इंडेक्स 14 फीसदी चढ़ा है।
लॉकडाउन के कारण पैदा हुई बेचैनी और छूट वाली ब्रोकरेज फर्मों के आसान विकल्पों ने बड़ी संख्या में खुदरा निवेशकोंं को बाजार से जोड़ दिया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, इसने काफी खरीदारों व ट्रेडरों को आकर्षित किया और इन शेयरों का वॉल्यूम बढ़ा। जनवरी-मई 2021 में एनएसई 500 के औसतन 40 शेयर रोजाना आधार पर 52 हफ्ते के उच्च सस्तर पर पहुंचे जबकि 2019 व 2020 में यह क्रमश: 9 व 16 फीसदी रहा था।
व्यापक बाजारों में उल्लास के माहौल से मिड व स्मॉलकैप शेयरों में संस्थागत भागीदारी देखने को मिली। जसानी ने कहा, एफपीआई और देसी संस्थागत निवेशकों का टर्नओवर सामान्य परिदृश्य में मुख्य तौर पर 100 अग्रणी शेयरों में संकेंद्रित होता है। हालांकि जनवरी 2021 के बाद से उनमें से कुछ ने मिडकैप शेयरों में ट्रेडिंग शुरू की। सेबी की तरफ से पीक मार्जिन की अनिवार्यता बढ़ाए जाने के बाद ट्रेडरों ने उन शेयरों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया जहां उच्च लागत की भरपाई के लिए ज्यादा कमाई की संभावना हो और इसमें मिडकैप फिट बैठता है।