प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारती एयरटेल का निदेशक मंडल हालांकि इस बात पर फैसला करेगा कि दूरसंचार कंपनी स्पेक्ट्रम की लंबित बकाया राशि को सरकारी इक्विटी में बदलने के अपने विकल्प का इस्तेमाल करती है या नहीं, लेकिन कंपनी ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) से संपर्क कर यह पुष्टि की है कि वह ऐसा कर सकती है या नहीं। वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दूरसंचार कंपनी के वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही (जनवरी-मार्च) के परिणाम जारी किए जाने के एक दिन बाद विट्टल ने विश्लेषकों को बताया, ‘समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) रूपांतरण के संबंध में हमारे लिए यह सरल था। हम रूपांतरण के विकल्प के लिहाज से गैर-भेदभावपूर्ण वाला समान कार्य क्षेत्र ही चाहते थे। हम रूपांतरण करेंगे या नहीं, यह फैसला निदेशक मंडल को करना है, लेकिन यह विकल्प कुछ ऐसा है जिसे हम सुनिश्चित करना चाहते थे। हम सरकार से स्पष्टीकरण चाहते थे कि हमारे पास रूपांतरण का विकल्प है या नहीं।
भारती एयरटेल पिछले महीने अपने स्पेक्ट्रम के लंबित बकाये को सरकारी इक्विटी में बदलने के लिए दूरसंचार विभाग से संपर्क करने वाली दूसरी दूरसंचार कंपनी बन गई। कुछ सप्ताह पहले सरकार ने संकटग्रस्त वोडाफोन आइडिया (वी) के स्पेक्ट्रम बकाया को 36,950 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयरों में बदलने की मंजूरी दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार के साल 2021 के मोरेटोरियम प्रस्ताव का लाभ उठाने के लिए एयरटेल का यह कदम सामने आया है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार एयरटेल के अनुरोध का अध्ययन कर रही है, इस बात के मद्देनजर कि जिन लोगों ने साल 2021 के दूरसंचार सुधार पैकेज की शर्तों के अनुसार सरकार के मोरेटोरियम प्रस्ताव का लाभ उठाया था, उन्हें बकाया राशि को इक्विटी में बदलने के लिए आवेदन करने की अनुमति है।