एयर इंडिया पर टाटा की बोली

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:15 PM IST

करीब सात दशक बाद टाटा समूह एक बार फिर एयर इंडिया की कमान अपने हाथ में लेने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार टाटा संस ने घाटे में चल रही सार्वजनिक विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए प्रारंभिक बोली लगाई है। सूत्रों ने कहा कि टाटा के अलावा भी कई कंपनियों ने एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है और इसके लिए अभिरुचि पत्र जमा कराए हैं। एयर इंडिया के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराने की समयसीमा आज समाप्त हो गई।
निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने ट्वीट किया, ‘एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए कई रुचि पत्र मिले हैं। सौदा अब दूसरे चरण में जाएगा।’ हालांकि उन्होंने एयर इंडिया अधिग्रहण के लिए बोली लगाने वालों के नाम उजागर नहीं किए।
सूत्रों के अनुसार टाटा समूह की होल्डिंग  कंपनी टाटा संस ने सोमवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले अभिरुचि पत्र जमा किया। सूत्रों ने कहा कि सिंगापुर एयरलाइंस ने बोली में हिस्सा नहीं लिया है। इस बारे में पूछे जाने पर टाटा संस के प्रवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया। सिंगापुर एयरलाइंस के प्रवक्ता ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। एक अधिकारी ने कहा कि सौदा सलाहकार 6 जनवरी से पहले उन बोलीदाताओं को सूचित करेंगे, जिनकी बोलियां पात्र पाई जाती हैं। उसके बाद पात्र बोलीदाताओं से वित्तीय बोलियां जमा करने के लिए कहा जाएगा।
फिलहाल टाटा समूह दो विमानन कंपनी विस्तार (सिंगापुर एयरलाइन के साथ सहयोग में) तथा एयर एशिया इंडिया (मलेशिया के एयरलाइंस समूह एयरएशिया के साथ) का परिचालन कर रहा है। अगर एयर इंडिया का अधिग्रहण करने में टाटा संस सफल रही तो समूह के पास तीन विमानन कंपनी हो जाएगी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि टाटा संस प्रबंधन एयर इंडिया का विस्तारा के साथ विलय कर सकती है क्योंकि एक ही श्रेणी में दो विमानन कंपनियां नहीं रखना चाहेगी। एयर इंडिया टाटा के लिए अहम सौदा हो सकता है क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उसे बढ़त मिलेगी और घरेलू विमानन बाजार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।
एयर इंडिया के 209 कर्मचारियों के एक समूह ने भी राष्ट्रीय एयरलाइन के लिए बोली लगाई है। विमानन कंपनी की वाणिज्यिक निदेशक मीनाक्षी मलिक ने यह जानकारी दी।
मलिक ने कहा, ‘हमने कंपनी में समूची 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए सोमवार सुबह बोली जमा कराई है।’ इससे पहले एयर इंडिया के कर्मचारियों के एक वर्ग ने कहा था कि वे एक निजी इक्विटी कोष के साथ मिलकर एयरलाइन के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
लंबे समय से घाटे में चल रही एयर इंडिया को काफी समय से बेचने की कवायद चल रही है। पिछले तीन साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार एयर इंडिया के निजीकरण का कई प्रयास कर चुकी है। हालांकि सरकार ने इस साल की शुरुआत एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया फिर शुरू की है। इसके लिए कई तरह के नियमों में भी ढील दी गई है। सरकार ने इस साल जनवरी में एयर इंडिया तथा तथा उसकी अंतरराष्ट्रीय किफायती सेवा इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री तथा ग्राउंड हैंडलिंग संयुक्त उद्यम एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं।
एयर इंडिया: टाटा से फिर टाटा तक!

एयर इंडिया के अधिग्रहण की अपनी योजना के करीब दो दशक बाद टाटा समूह इस राष्ट्रीय एयरलाइन को खरीदने के लिए एक और कोशिश कर रही है।
टाटा समूह देश में नागरिक उड्डयन में अग्रणी है और पोस्टल मेल सेवा और भारत से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने वाली पहली भारतीय कंपनी होगी।
पिछले तीन दशकों के दौरान समूह ने वाणिज्यिक विमानन व्यवसाय में वापसी के विफल प्रयास किए हैं।
वर्ष 1995 में, टाटा समूह ने नई एयरलाइन बनाने के लिए सिंगापुर एयरलाइंस के साथ हाथ मिलाया, लेकिन अन्य निजी एयरलाइनों के विरोध और 1996 में सरकार बदलने की वजह से प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया।
पांच साल बाद दोनों पक्षों ने भाजपा-नीत सरकार द्वारा शुरू की गई निजीकरण प्रक्रिया के तहत एयर इंडिया को खरीदने की कोशिश की। लेकिन फिर से बिक्री प्रक्रिया विफल रही और सिंगापुर एयरलाइंस को एयर इंडिया निजीकरण को लेकर राजनीतिक विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
टाटा समूह ने आखिरकार दो संयुक्त उपक्रमों – 2014 में एयरएशिया इंडिया और 2015 में विस्तारा को सफलतापूर्वक पेश किया।
एयर इंडिया के लिए अभिरुचि पत्र सौंपने के  साथ, टाटा समूह को अपने विमानन संबंधी सपने को फिर से पंख लड्ड5गने की उम्मीद बढ़ी है।

कब क्या हुआ

1932: जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई तक पुस मोठ विमान सेवा शुरू कर पोस्टल मेल सेवा पेश करने वाली पहली भारतीय कंपनी का दर्जा हासिल किया
1937: टाटा एयरलाइंस सेवाओं का विस्तार और उसने यात्रियों के लिए उड़ानें शुरू कीं
1946: टाटा एयरलाइंस पब्लिक कंपनी बनी और उसका नाम बदलकर एयर इंडिया किया गया
1948: मुंबई और लंदन के बीच अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय सेवा शुरू की
1953: सरकार ने सभी निजी एयरलाइनों का निजीकरण किया, जिनमें एयर इंडिया भी शामिल थी। जेआरडी टाटा को चेयरमैन बनाए रखा गया
1978: प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार ने जेआरडी टाटा को इस जिम्मेदारी से हटाया
1986-89: रतन टाटा ने एयर इंडिया के चेयरमैन की कमान संभाली
2001: टाटा समूह ने एयर इंडिया में सरकार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए सिंगापुर एयरलाइंस के साथ भागीदारी की, लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ सकी। सिंगापुर एयरलाइंस को विरोध की वजह से सौदे से पीछे हटना पड़ा

First Published : December 14, 2020 | 11:16 PM IST