टाटा और फिएट का संयुक्त उपक्रम टाटा-फिएट ऑटो कंपनियों की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय मांग को देखते हुए अपने रंजनगांव संयंत्र से इंजनों की आपूर्ति करने की संभावना तलाश रहा है। इसके लिए टाटा और फिएट इस वर्ष काम शुरू कर देंगी।
इस संयंत्र की शुरूआती इंजन निर्माण क्षमता दो लाख इंजन के निर्माण की होगी। बाद में इस संयंत्र की क्षमता में वृद्धि कर इसे दोगुना किया जाएगा।
वैसे, फिएट के अधिकारियों के अनुसार इस संयंत्र का डिजाइन उच्च क्षमता के अनुरूप है। फिएट इंडिया ऑटोमोबाइल्स में इंजीनियरिंग डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष जयंत कुमार देब कहते हैं, ‘हम खास कर अंतर्राष्ट्रीय इंजन आपूर्ति अनुबंधों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
हम इसके लिए कई वैश्विक कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं। रंजनगांव संयंत्र बेहद विशाल है और यह उच्च क्षमता से लैस है। हम इस संयंत्र से घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार तक आसानी से पहुंच बना सकते हैं।’
देब ने रंजनगांव संयंत्र की क्षमता के वास्तविक आकार के बारे में बताने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में दोनों कंपनियों की विस्तार योजना के तहत इसमें और निवेश की संभावना तलाशी जा सकती है।
दोनों कंपनियां समान भागीदारी के आधार पर संयुक्त उपक्रम में 4,000 करोड़ रुपये की राशि लगाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
संयंत्र 1.3 लीटर और 1.9 लीटर वाले मल्टी-जेट डीजल इंजन तैयार करेगा। इसके अलावा दो गैसोलिन इंजन – फिएट की फायर शृंखला के 1.2 और 1.4 लीटर वाले इंजन भी तैयार करेगा।
ये इंजन भारतीय और वैश्विक बाजार के लिए फिएट और टाटा मोटर्स के मॉडलों के लिए होंगे।
इसी तरह सुजूकी की सहायक कंपनी सुजूकी पावरट्रेन इंडिया (एसपीआईएल) भी सुजूकी के इंजन का निर्माण और निर्यात करेगी। सुजूकी के इंजन पेट्रोल एवं डीजल दोनों वाहनों के लिए होंगे और इनका वैश्विक तौर पर निर्यात किया जाएगा।
विश्लेषकों के अनुसार इंजन निर्माण का खर्च या कलपुर्जे किसी यूरोपीय या अमेरिकी बाजार की तुलना में भारत में 30-40 प्रतिशत सस्ते हैं।
सस्ता श्रम और कम लागत भारत में वैश्विक कंपनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।
फिएट यूरोपीय क्षेत्र में बेचे गए सुजुकी के स्विफ्ट मॉडल के लिए भी इंजनों की आपूर्ति कर चुकी है।