टाटा समूह की 150 अरब डॉलर की नियंत्रक कंपनी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड अपनी 107वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में नोएल टाटा को अपने निदेशक मंडल में नियुक्त करने के लिए गुरुवार को शेयरधारकों की मंजूरी लेगी। इसके अलावा तीन अन्य निदेशक पदों पर भी मतदान किया जाएगा।
अक्टूबर 2024 में टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन बने नोएल टाटा को पिछले साल ट्रस्ट्स ने टाटा संस के निदेशक मंडल में नामित किया था और अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया गया था। शेयरधारक वेणु श्रीनिवासन और सौरभ अग्रवाल को निदेशकों के रूप में तथा उभरते बाजारों के ग्रोथ फंड प्रोस्पेरेट की सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अनीता जॉर्ज को स्वतंत्र निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त करने के संबंध में भी फैसला करेंगे।
उम्मीद की जा रही है कि टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सितंबर से पहले प्रस्तावित टाटा कैपिटल लिमिटेड के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बारे में शेयरधारकों को जानकारी देंगे। निदेशक मंडल ने एक सामान्य शेयर पर 64,900 रुपये के लाभांश की सिफारिश की है जो पिछले साल के 35,000 रुपये के मुकाबले अधिक है। इसका मतलब है 2,622.91 करोड़ रुपये का नकद भुगतान। टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ट्रस्ट्स को परोपकारी कार्यों के लिए लगभग 1,731 करोड़ रुपये मिलेंगे।
यह ऑनलाइन वार्षिक आम बैठक टाटा ट्रस्ट्स में नोएल टाटा के नेतृत्व में रणनीतिक बदलावों के बीच हो रही है। इसमें शापूरजी पलोंजी समूह के साथ संभावित निकासी के लिए बातचीत भी शामिल है, जिसके पास टाटा संस की 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बातचीत में अभी कोई समझौता नहीं हुआ है। ट्रस्ट्स ने कंपनी को निजी बने रहने का भी निर्देश दिया है।
निदेशक अजय पीरामल और राल्फ स्पेथ की आगामी सेवानिवृत्ति की वजह से समूह नियत समय में निदेशक मंडल के दो नए सदस्य भी शामिल करेगा। टाटा संस ने वार्षिक आम बैठक के कार्यक्रम के संबंध में टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया।
मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान टाटा संस ने 38,834.58 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जो एक साल पहले के 43,893 करोड़ रुपये से कम है। उस समय निवेश की बिक्री से 9,375.66 करोड़ रुपये के लाभ से कंपनी के परिणाम बेहतर हुए थे। व्यय 2,776.49 करोड़ रुपये से घटकर 1,945.64 करोड़ रुपये रह गया।
कंपनी का कर से पहले का लाभ (पीबीटी) 39,813.16 करोड़ रुपये से घटकर 35,440.76 करोड़ रुपये रह गया जबकि कर के बाद का लाभ (पीएटी) 34,653.98 करोड़ रुपये से घटकर 26,231.74 करोड़ रुपये रह गया। कंपनी ने वर्ष के दौरान सभी उधारी चुका दीं और मार्च में समाप्त वर्ष में उसकी शुद्ध नकदी 7,117.43 करोड़ रुपये रही जबकि एक साल पहले यह 2,679.19 करोड़ रुपये थी।