इंजीनियरिंग कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स हरित हाइड्रोजन बाजार पर अपनी दृष्टि केंद्रित कर रही है, क्योंकि देश में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की आवश्यकता तेजी से जोर पकड़ रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में टाटा प्रोजेक्ट्स के प्रबंध निदेशक विनायक पई ने कहा कि कंपनी हरित हाइड्रोजन संयंत्रों को इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) समाधान प्रदान करने के लिए क्षमताओं का निर्माण कर रही है।
उन्होंने कहा ‘हमारे पास हाइड्रोजन और इसके इकाई परिचालन की व्यवस्था के लिए कौशल समूह है। हम हरित हाइड्रोजन में अपनी खुद की पूंजी नहीं लगाएंगे। इसके बजाय हम उन ग्राहकों के साथ काम करेंगे, जो इन परियोजनाओं में अपनी पूंजी लगाने के लिए तैयार हों। हम हरित हाइड्रोजन संयंत्रों के लिए ईपीसी समाधान उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
इसकी प्रतिस्पर्धी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने मूल्य-श्रृंखला के एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक ध्यान केंद्रित करते हुए हरित हाइड्रोजन बाजार के लिए एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है। यह इस क्षेत्र के ग्राहकों के लिए ईपीसी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए ईंधन उत्पादन से लेकर इलेक्ट्रोलाइजर और उन्नत सेल वाली बैटरी जैसे महत्त्वपूर्ण घटकों तक के निर्माण में शामिल है।
एलऐंडटी ने अगले तीन से चार साल में हरित हाइड्रोजन समेत हरित ऊर्जा परियोजनाओं पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। यह एक प्रमुख घटक इलेक्ट्रोलाइजर की स्थापना करने के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के साथ संयुक्त उद्यम में भी शामिल हुई है। और हरित ईंधन के लिए इसका आईओसी तथा रीन्यू पॉवर के साथ एक अलग संयुक्त उद्यम है। अगस्त में एलऐंडटी ने गुजरात के हजीरा में अपना पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित किया था। यह इकाई 25 करोड़ रुपये के निवेश पर प्रतिदिन 45 किलोग्राम ईंधन का उत्पादन कर सकती है।
एलऐंडटी ने कहा कि इस संयंत्र से मिली सीख सीमेंट, इस्पात और तेल एवं गैस परियोजनाओं में इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है, जो परिचालन के लिए हरित ईंधन का उपयोग करने को उत्सुक हैं। पई ने कहा कि दूसरी तरफ टाटा प्रोजेक्ट्स हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के संबंध में इलेक्ट्रोलाइजर प्रौद्योगिकी निर्माताओं के साथ मिलकर काम करेगी। उन्होंने कहा कि टाटा प्रोजेक्ट्स में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली टाटा पावर से उम्मीद है कि वह हरित हाइड्रोजन में जाने के प्रयास में उसकी मदद करेगी।