टाटा समूह की विमानन कंपनियों में अब एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया शामिल हैं। एयर इंडिया के शामिल होने से विमानन क्षेत्र में टाटा समूह की बाजार हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है। अब देश के सबसे अधिक व्यस्त 10 शीर्ष मार्गों पर प्रस्थान में टाटा समूह की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।
अगस्त और सितंबर में आठ विमानन कंपनियों के प्रस्थान संबंधी आंकड़ों पर नजर रखने वाली फर्म कैलाड्रियर एयरो कंसल्टिंग के अनुसार, अगस्त से सितंबर 2021 के दौरान प्रस्थान की संख्या के आधार पर सभी शीर्ष 10 मार्गों पर टाटा समूह आगे रहा।
प्रस्थान के लिहाज से शीर्ष 100 मार्गों में से 30 मार्गों पर पर टाटा समूह अपनी प्रमुख प्रतिस्पर्धी इंडिगो से आगे है। जबकि शेष मार्गों पर इंडिगो का वर्चस्व है। उदाहरण के लिए, मुंबई-दिल्ली और दिल्ली-मुंबई मार्ग पर टाटा समूह की हिससेदारी इंडिगो के मुकाबले करीब दोगुनी है। इसकी वजह साफ है। मुंबई-दिल्ली मार्ग पर विस्तारा की प्रस्थान में 34 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि एयर इंडिया की 18 फीसदी और एयर एशिया की 3 फीसदी। इंडिगो की प्रस्थान में 26 फीसदी हिस्सेदारी है।
बेंगलूरु-दिल्ली मार्ग पर टाटा समूह की हिस्सेदारी 53 फीसदी है जो इंडिगो की 34 फीसदी हिस्सेदारी से काफी अधिक है। हालांकि यहां एयर इंडिया और विस्तारा में से प्रत्येक की 22 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि एयर एशिया की हिस्सेदारी 10 फीसदी है। इन सबको मिलाकर टाटा समूह की हिस्सेदारी इंडिगो के मुकाबले कहीं अधिक हो जाती है।
कोलकाता-दिल्ली मार्ग पर इंडिगो की प्रस्थान उड़ानों की संख्या सर्वाधिक है लेकिन विस्तारा, एयर इंडिया और एयर एशिया का एकीकृत आंकड़ा तस्वीर बदल देती है। इस मार्ग पर विस्तारा की 20 फीसदी, एयर इंडिया की 14 फीसदी और एयर एशिया की 5 फीसदी हिस्सेदारी है।
हैदराबाद-दिल्ली, दिल्ली-चेन्नई, पुणे-दिल्ली और बेंगलूरु-गुवाहाटी जैसे मार्गों पर टाटा समूह की प्रस्थान उड़ानों की संख्या सबसे अधिक है।
हालांकि ग्राहक बाजार में इंडिगो की हिस्सेदारी सबसे अधिक (50 फीसदी से अधिक) है। वास्तविकता यह है कि ऐसे कई महत्त्वपूर्ण मार्ग हैं जहां टाटा समूह मूल्य निर्धारण के मोर्चे पर अपनी एकीकृत ताकत के बल पर वापसी कर सकता है।
कैलाड्रियस एयरो कंसल्टिंग के प्रबंध निदेशक रोहित तोमर ने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि टाटा समूह अपनी एकीकृत ताकत के बल पर इनमें से कई मार्गों पर मूल्य निर्धारण की ताकत दोबारा हासिल कर सकता है। एफएससी और एलसीसी के संयोजन के कारण किराया निर्धारित करने के मोर्चे पर टाटा समूह के पास कहीं अधिक लचीलापन रहेगा।’
इंडिगो के करीबी सूत्रों का कहना है कि मूल्य निर्धारण की ताकत हमेशा छोटी विमानन कंपनियों के पास होती है। उनका किराया लागत के मुकाबले कम है और दूसरों को उनके अनुरूप चलना पड़ेगा अन्यथा बाजार हिस्सेदारी खोना पड़ेगा।
तोमर ने कहा कि प्रस्थान उड़ानों की संख्या अक्सर तैनात सीटों की वास्तविक तस्वीर पेश नहीं करती है। लेकिन एयर इंडिया द्वारा इन मार्गों पर बड़े आकार के विमानों की तैनाती की गई है और ऐसे में सीटों की हिस्सेदारी में 2 से 4 फीसदी की घट-बढ़ हो सकती है।