मीशो, एमेजॉन, आजियो जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां अत्यधिक सतर्क हो गई हैं। भारत में पिछले साल नवंबर में कारोबार शुरू करने वाली सिंगापुर की शॉपी भारतीय उपभोक्ताओं के बीच तेजी से जगह बना रही है। शॉपी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) में सूचीबद्ध सिंगापुर की उपभोक्ता इंटरनेट समूह सी ग्रुप का हिस्सा है। सेंटर टावर के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में देश में दूसरा सबसे अधिक डाउनलोड होने वाला ऐप है। पहले पायदान पर मीशो है। शॉपी पहले ही 2.8 करोड़ ऐप डाउनलोड का आंकड़ा हासिल कर चुकी है और अपने प्लेटफॉर्म पर 20,000 से अधिक विक्रेताओं को जोड़ चुकी है।
इतना ही नहीं, दैनिक और मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं के लिहाज से भी यह एमेजॉन, जियो मार्ट, मिंत्रा तथा आजियो से आगे निकल गई है। यह केवल मीशो और फ्लिपकार्ट से पीछे है। उदाहरण के लिए एपटॉपिया के मुताबिक जनवरी में इसके दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं (डीएयू) की तादाद एक करोड़ और मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या (एमएयू) 2.1 करोड़ से अधिक रही।
सिंगापुर का यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बड़े उत्पादों की श्रेणियों पर ध्यान दे रहा है। जेपी मॉर्गन के अनुमानों के मुताबिक इसके सकल वस्तु बिक्री मूल्य में 35 फीसदी हिस्सा फैशन का है। इसके बाद मोबाइल एवं एक्सेसरीज की 19 फीसदी और घरेलू सामान एवं फर्नीचर की 14 फीसदी हिस्सेदारी है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर अप्लायंस, किराना, स्वास्थ्य एवं सौंदर्य और पर्सनल केयर उत्पाद भी बेचती है।
इस प्लेटफॉर्म ने मीशो के अलावा बाकी प्रतिस्पर्धी ई-कॉमर्स कंपनियों से खुद को अलग रखा है। इसलिए यह उपभोक्ताओं को मुफ्त डिलिवरी दे रही है और विक्रेताओं से कोई कमीशन नहीं लेती है। इसका कमाई का मॉडल मीशो जैसा है। मीशो भी मुख्य रूप से विज्ञापन पर निर्भर है। हालांकि प्रतिस्पर्धियों से इतर इसके पास अपना लॉजिस्टिक तंत्र नहीं है, इसलिए इसने डेल्हीवरी जैसे स्वतंत्र प्लेटफॉर्मों के साथ गठजोड़ किया है। नतीजतन शॉपी डिलिवरी मेंं अपनी अन्य प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा समय लेती है। इसकी कीमतें और छूट कमोबेश प्रतिस्पर्धियों के समान ही हैं, खास तौर पर मीशो के।
शॉपी दक्षिण पूर्व एशिया और ताइवान में सबसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों में से एक है, जिस पर हर महीने 34.3 करोड़ से अधिक लोग आते हैं। इसकी शुरुआत सिंगापुर में 2015 में हुई थी। यह ब्राजील, मैक्सिको, चिली और पोलैंड, स्पेन एवं फ्रांस जैसे यूरोप के कुछ हिस्सों में उभोक्ताओं को अपनी सेवाएं देती है।
हालांकि भारत में शॉपी की शुरुआत की कड़ी आलोचना हुई है। व्याापारियों के अखिल भारतीय परिसंघ ने इस प्लेटफॉर्म पर चीनी कंपनी होने और एफडीआई नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कंपनी पिछले दरवाजे से चीन का निवेश लाने के लिए भारत में एक जटिल ढांचे के जरिये आई है। सी लिमिटेड जब एनवाईएसई में सूचीबद्ध हुई थी, उस समय चीन की कंपनी टेनसेंट ने निवेश किया था। टेनसेंट ने जनवरी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर 3 अरब डॉलर जुटाए थे। हालांकि अब भी इसकी सी में 18.7 फीसदी हिस्सेदारी है।