पेट्रोनेट एलएनजी के प्रबंध निदेशक और सीईओ अक्षय कुमार सिंह का कहना है कि अप्रत्याशित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अब तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के वैश्विक हाजिर दाम कम हो गए हैं। यह भारत की गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की कवायद के लिए बेहतर संकेत है।
कंपनी द्वारा तीसरी तिमाही के परिणाम की घोषणा के बाद सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि हाजिर एलएनजी के दाम में अचानक आई तेजी से कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि कंपनी के ज्यादातर सौदे दीर्घावधि और कच्चे तेल से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘हाजिर एलनएनजी के दाम बहुत ज्यादा स्तर पर पहुंच गए थे, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था। लेकिन अगर हम फ्यूचर प्राइस देखें तो अप्रैल और उसके बाद के दाम से संकेत मिल रहे हैं कि दरें 5 डॉलर से 6 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट के वहनीय स्तर पर आ रही हैं। हमें लगता है कि निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलएनजी के दाम में स्थिरता आएगी, संभवत: एक या दो महीने में ऐसा हो जाएगा और इससे निश्चित रूप से भारत में सभी एलएनजी टर्मिनल के उपयोग में सुधार होगा।’
यह पूछे जाने पर कि क्या इससे पेट्रोनेट के ग्राहकों के खरीद के तरीके पर असर पड़ा, सिंह ने कहा, ‘कुछ असल था, लेकिन हमने तमाम दीर्घावधि समजौते किए थे, जिसकी वजह से इन कीमतों का असर नहीं पड़ा, क्योंकि इनके दाम ज्यादातर कच्चे तेल से जुड़े थे। जनवरी में कुछ हाजिर व कम अवधि के कांट्रैक्ट पर ्सर पडा, लेकिन अब यह सामान्य हो गया है।’
पेट्रोनेट एलएनजीभारतीय ग्राहकों के लिए अपने आयात टर्मिनलों पर एलएनजी को रीगैसीफाइंग के कारोबार में लगी हुई है। यह देश की सबसे बड़ी एलएनजी आयातक कंपनी है और इसका गठन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के संयुक्त उद्यम के रूप में हुआ है।
इस समय पेट्रोनेट एलएनजी देश में दो रीगैसीफिकेशन टर्मिनलों का परिचालन करती है। गुजरात के दाहेज में इसका 17.5 मिलियन टन सालाना (एमटीपीए) क्षमता का टर्मिनल है, जिससे देश में गैस की कुल मांग के करीब 40 प्रतिशत हिस्से की आपूर्ति होती है।
सिंह ने कहा कि दाहेज टर्मिनल अपनी स्थापित क्षमता के 97.3 प्रतिसत पर चल रहा है और कंपनी ने इसकी क्षमता बढ़ाकर 22.5 एमटीपीए करने की योजना बनाई है।
कोच्चि में 5 एमपीटीए क्षमता का दूसरा टर्मिनल है। पाइपलाइन नेटवर्क में देरी की वजह से इसकी खराब शुरुआत रही है। ग्राहकों की कमी की वजह से इसकी क्षमता का उपयोग कम हो गया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से प्रतीक्षित कोच्चि-मंगलूर पाइपलाइन शुरू होने से कुछ राहत मिली है। कोच्चि टर्मिनल का क्षमता उपयोग 2021 के बाद के महीनों में बढ़कर 30 प्रतिशत होने की उम्मीद है। लेकिन परियोजना का असल उपयोग तभी होगा, जब और पाइपलाइन नेटवर्क तैयार हो जाएगा। सिंह के मुताबिक मंगलूर लाइन का काम पूरा हो गया है और इस क्षेत्र के सभी ग्राहकों (कोच्चि से मंगलूर) को धीरे धीरे गैर की आपूर्ति की जाएगी। बहरहाल पाइपलाइन नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा, जो टर्मिनल को बेंगलूरु और नैशनल गैस ग्रिड से जोड़ता है, एक साल में पूरा होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि बहुत जल्द लाइन बेंगलूरु से जुड़ जाएगी और एक बार इसके जुड़ जाने से हम अपने कोच्चि टर्मिनल के क्षमता उपयोग की उम्मीद कर सकते हैं, जो बढ़कर 80 या 100 प्रतिशत हो जाएगा।’
कंपनी द्वारा और ज्यादा दीर्घावधि सौदे किए जाने की योजना पर सिंह ने कहा , ‘गैस की खपत में उल्लेखनीय रूप से बढ़ोतरी की उम्मीद है और पेट्रोनेट एलएनजी की ज्यादा एलएनजी के आयात और टर्मिनल विकसित करने में अहम भूमिका होगी। परंपरागत दीर्घावधि सौदा, जो 25 साल के लिए होता है, अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूद नहीं है। लोग अब करीब 5 से 10 साल के सौदे पर बात कर रहे हैं। इन सौदों में भी बहुत लचीलापन है। हम इस तरह के अवसरों को भुनाने की कवायद में हैं, जिससे हमारे देश के लिए बेहतर सौदा हो सके।’