एयर इंडिया के लिए बोली प्रक्रिया में टाटा संस के साथ शिरकत न करने का एक और संकेत देते हुए सिंगापुर एयरलाइंस ने कहा है कि वह अपनी जुटाई गई रकम से विलय एवं अधिग्रहण की कोई योजना नहीं बना रही है। विमानन कंपनी ने कहा है कि वह मुख्य तौर पर नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए रकम जुटा रही है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोली की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर टाटा संस विस्तारा का परिचालन करती है। दोनों कंपनियों का यह संयुक्त उद्यम सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिग्रहण की दौड़ में सबसे आगे है।
सिंगापुर एयरलाइंस विस्तारा में अपना निवेश जारी रखेगी। उसने कहा कि विमानन कंपनी के बड़े में विमानों की संख्या 2023 तक बढ़कर 70 हो जाएगी। विस्तारा के पास फिलहाल 47 विमान हैं जिनमें एयरबस ए320 और बोइंग 787 विमान शामिल हैं।
सिंगापुर एयरलाइंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष (वित्त एवं रणनीति) तान काई पिंग ने कहा, ‘फिलहाल हम जिन कारणों से अनिवार्य परिवर्तनीय बॉन्ड कार्यक्रम (एमसीबी) के साथ आगे नहीं बढ़ रहे हैं उनमें यह तथ्य भी शामिल है कि सुधार का अनुमान लगाना अभी अनिश्चित है। ऐसे में अपने इक्विटी आधार को मजबूत करना हमारे लिए समझदारी होगी। इसके अलावा एमसीबी जारी करने के बारे में सोचने का हमारा दृष्टिकोण बहुवर्षीय है। हम खुद को कैसे तैयार करें, हमें क्या करने की जरूरत है, क्या हमें अपनी मूल क्षमताओं में निवेश करने की आवश्यकता है ताकि हम कोविड-19 से मजबूत होकर उभर सकें और सभी अवसरों का लाभ कैसे उठा सकें। विलय एवं अधिग्रहण के लिए रकम के इस्तेमाल की कोई योजना नहीं है।’ वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या विमानन कंपनी जुटाई गई रकम का इस्तेमाल एयर इंडिया में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए करना चाहती है। सिंगापुर एयरलाइंस ने हाल में परिवर्तनीय बॉन्ड इश्यू के जरिये 6.2 अरब डॉलर जुटाने की घोषणा की थी। विमानन कंपनी ने कहा कि इस पेशकश में उसके एमसीबी कार्यक्रम का दूसरा हिस्सा है जिसे मूल रूप से 30 अप्रैल 2020 को शेयरधारकों ने मंजूरी दी थी।
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान जुटाई गई 13.3 अरब डॉलर के बाद यह रकम जुटाई गई है। इस दौरान समूह ने कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के बीच 4.3 अरब डॉलर का शुद्ध घाटा दर्ज किया है। वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर में विमानन एवं आतिथ्य सेवा उद्योग ध्वस्त हो चुका है। सिंगापुर एयरलाइंस मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात पर निर्भर थी और वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए सिंगापुर सरकार द्वारा अंतराष्ट्रीय हवाई हवाई सीमाओं को खोलने में सख्ती से उसे कहीं अधिक झटका लगा है।
पिछले महीने एयर इंडिया के निजीकरण के लिए लेनदेन सहलाकार ईवाई ने बोलीदाताओं को शॉर्टलिस्ट करने के लिए आशय पत्र (आरएएफ) जारी करते हुए वित्तीय बोली जमा करने का आग्रह किया था।