ज़ी एंटरटेनमेंट की जांच के मामले में बाजार नियामक सेबी ने कंपनी और उसके मुख्य कार्याधिकारी पुनीत गोयनका की तरफ से दाखिल निपटान आवेदन को खारिज कर दिया है। इसके अलावा नियामक ने इस मामले में जांच का दायरा बढ़ा दिया है, जिसके तहत मीडिया फर्म के पूर्व चेयरपर्सन सुभाष चंद्रा भी जांच के घेरे में हैं।
गुरुवार को जारी न्यायिक आदेश में सेबी ने कहा है कि ज़ी व गोयनका ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट (एलओडीआर) नियमन के कथित उल्लंघन के मामले में निपटान आवेदन दाखिल किया था। सेबी ने इस पर जुलाई 2022 में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सेबी के आदेश में कहा गया है, पूर्णकालिक सदस्यों की समिति ने निपटान आवेदन खारिज कर दिया और आगे की जांच के लिए मामला सेबी के पास भेज दिया। इस संबंध में पाया गया है कि मामले की जांच पूरी होने के बाद सक्षम प्राधिकार ने नोटिस पाने वाले के खिलाफ सेबी अधिनियम 1992 की धारा 11 बी के तहत आगे बढ़ने का फैसला लिया है।
बाजार नियामक ने कहा है कि जुलाई 2022 के कारण बताओ नोटिस में लगाए गए आरोप को सेबी की तरफ से होने वाले आगे की जांच में मिले तथ्यों के साथ जोड़ दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि जांच रिपोर्ट और भरोसे वाले दस्तावेजों को आगे की जांच का अहम हिस्सा माना जाएगा और विगत में जारी कारण बताओ नोटिस को इस मामले में आगे जारी होने वाले नोटिस के साथ शामिल किया जाएगा।
अगस्त 2023 में जारी आदेश में सेबी ने चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका को समूह की चार फर्मों में अहम पद लेने से रोक दिया था। जून 2023 में सेबी ने एस्सेल समूह की फर्म शिपपुर गोल्ड रिफाइनरी के प्रवर्तकों की तरफ से कथित धोखाधड़ी वाले कदम उठाने और रकम की हेराफेरी का आरोप लगाया था। संस्थापकों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई ने ज़ी का जापान की सोनी की भारतीय इकाई के साथ विलय को विफल कर दिया था।
बाजार नियामक चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका की तरफ से की गई रकम की कथित हेराफेरी की जांच कर रहा है। शुरुआती आदेश लेटर ऑफ कंफर्ट (एलओसी) प्रदान करने को लेकर जारी हुआ था, जो 2,000 करोड़ रुपये का है। हालांकि सेबी ने प्रतिभूति अपील पंचाट से कहा है कि और एलओसी जांच के घेरे में है, जिसमें से एक एस्सेल समूह के चेयरमैन के तौर पर चंद्रा की तरफ से जारी 4,210 करोड़ रुपये का एलओसी शामिल है।