हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के चेयरमैन नितिन परांजपे ने कंपनी की सालाना रिपोर्ट में निवेशकों से कहा है कि हाल के समय में ऊंची मुद्रास्फीति से वृद्घि दर में नरमी देखने को मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत तेजी से बढ़ रहे एफएमसीजी बाजारों में से एक बना हुआ है।
परांजपे ने कहा, ‘ताजा मंदी के बाद भी एफएमसीजी उत्पादों की पैठ (शहरी और ग्रामीण भारत, दोनों में) से वृद्घि की गुंजाइश बढ़ी है।’ चूंकि ज्यादातर लोग मध्य वर्ग में शामिल हैं और बड़ी कामकाजी आबादी, बढ़ते विघटनकारी परिवार की संरचना, शहरीकरण और तकनीकी के तेज चयन, ये सभी देश में क्षेत्र के विकास के लिए शुभ संकेत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय उपभोक्ता तेजी से विकसित हो रहे हैं महामारी ने कई ऐसे
रुझानों को बढ़ावा दिया है जिनका भारतीय उपभोक्ता पर असर बना रहेगा। इनमें स्वास्थ्य, डिजिटल टेक्नोलॉजी आदि पर मुख्य जोर दिया गया है।
परांजपे ने कहा, ‘भारतीय उपभोक्ता ऐसे मजबूत उत्पादों और ब्रांडों पर ध्यान बढ़ा रहे हैं जो लोगों और धरती के लिए अच्छे भी हैं।’
एचयूएल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी संजीव मेहता ने यह भी कहा कि निकट भविष्य में भूराजनीतिक तनाव और जिंस कीमतों में वृद्घि के साथ व्यावसायिक परिवेश चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।
कंपनी ने अपने आउटलुक में कहा है, ‘इस वित्त में चुनौतीपूर्ण परिचालन परिवेश की पृष्ठभूमि में हमने अपने व्यवसाय को मजबूत मुनाफा प्रदर्शन देने में सक्षम बनाया है और साथ ही उपभोक्ता फ्रैंचाइजी बढ़ाने और हमारी रणनीतिक प्राथमिकताओं पर प्रगति करने पर जोर दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘हम वित्त वर्ष 2022-23 में यह दृष्टिकोण बरकरार रखेंगे, जिसमें परिचालन परिवेश बढ़ती उत्पादन लागत और कमजोर एफएमसीजी बाजार वृद्घि के साथ चुनौतीपूर्ण बने रहने की संभावना है।’
मेहता ने यह भी कहा कि महामारी के पिछले दो वर्षों ने कंपनी को व्यवसाय के तौर पर और ज्यादा प्रतिक्रियाशील और मजबूत बनाया है। उन्होंने कहा, ‘हमारी प्रतिस्पर्धी बढ़त बरकरार रहेगी और हम 15 विभिन्न श्रेणियों के 50 से ज्यादा भरोसेमंद ब्रांडों के साथ व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’
कंपनी का यह भी कहना है कि इन अल्पावधि चुनौतियों के बाद भी भारतीय एफएमसीजी क्षेत्र ने वृद्घि के लिए मजबूत संभावनाएं मुहैया कराई हैं।
कंपनी ने कहा है कि महामारी के बाद कर्मियों के संदर्भ में परिवेश और कर्मचारियों की पसंद में तेजी से बदलाव आ रहा है, क्योंकि कंपनियों को प्रतिस्पर्धी प्रतिभाओं की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।