रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने गुरुवार के कारोबार में 200 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण का आंकड़ा पार कर लिया। हालांकि उसके बाजार पूंजीकरण में वृद्घि शुरुआती दौर में परोक्ष रोजगार में शानदार वृद्घि के साथ दर्ज की गई, लेकिन अब इसमें नरमी आ सकती है।
कंपनी का बाजार पूंजीकरण गुरुवार तक 15.4 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया था, जो 10 सितंबर 2018 को दर्ज 7.96 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 94 प्रतिशत ज्यादा था। हालांकि एकल आधार पर आरआईएल कर्मियों की संख्या में पिछले दो वर्षों से कमी आई है।
आरआईएल की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में एकल आधार पर कर्मचारियों की संख्या सालाना आधार पर 9 प्रतिशत तक घटी थी। सालाना आधार पर समूह के कर्मचारियों का आंकड़ा भी साझा किया जाता है, जिससे पता चलता है कि कर्मचारियों की संख्या वित्त वर्ष 2020 में सालाना आधार पर महज 1 प्रतिशत तक बढ़ी।
कंपनी को इस संबंध में भेजे गए ईमेल संदेश का कोई जवाब नहीं मिला है। विश्लेषकों ने इस रुझान के लिए पूंजीगत खर्च चक्र की समाप्ति, बढ़ते स्वचालन, समय-आधारित श्रम अनुबंधों के लिए आरआईएल के जोर, और दूरसंचार तथा रिटेल व्यवसायों के आउटसोस्र्ड मानव संसाधन मॉडल के समावेश के लिए जिम्मेदार बताया है।
आरआईएल के एकल आधार पर कर्मचारियों की संख्या वित्त वर्ष 2020 में 26,488 थी, जो वित्त वर्ष 2019 के 28,967 और वित्त वर्ष 2018 के 29,533 के मुकाबले 10 प्रतिशत की गिरावट है। वित्त वर्ष 2018 में कर्मचारियों की संख्या में हालांकि सालाना आधार पर 34 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। आरआईएल की बिक्री और सेवाओं का मूल्य एकल आधार पर वित्त वर्ष 2020 में सालाना आधार पर 9 प्रतिशत घटी, लेकिन वित्त वर्ष 2018 के मुकाबले इसमें 16 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
एक विश्लेषक ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ बताया, ‘एकल आधार पर आंकड़ों में रिटेल को शामिल नहीं किया गया है, इसमें सिर्फ रिफाइनिंग और पेट्रोरसायन को दिखाया गया है जिनमें पिछले दो वर्षों में कोई वृद्घि या विस्तार नहीं दर्ज किया गया। इस गिरावट के लिए बढ़ते स्वचालन को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिसमें सेवानिवृति के बाद कर्मचारियों के प्रतिस्थापन नहीं हो सकता है।’
आरआईएल की बिक्री और सेवाओं की समेकित वैल्यू वित्त वर्ष 2020 में सालाना आधार पर 5 प्रतिशत बढ़ी, और यह वित्त वर्ष 2018 के मुकाबले 53 प्रतिशत ज्यादा है। इस उद्योग के एक विश्लेषक ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘दूरसंचार काफी हद तक आउटसोर्सिंग मॉडल है, जिसमें ज्यादातर जरूरी मानव श्रम की जरूरत प्रत्यक्ष रोजगार नहीं होगी।’ उन्होंने कहा कि ऊर्जा व्यवसाय में ज्यादातर विस्तार वित्त वर्ष 2018 से पहले हुआ।
क्या पूंजीगत खर्च चक्र समाप्त होने से कर्मचारियों की संख्या में लगातार कमी आएगी? विश्लेषक ने कहा, ‘अपस्ट्रीम व्यवसाय (जिसमें निवेश हो रहा है) के लिए, मेरा मानना है कि बीपी मानवश्रम के संबंध में बड़ा योगदान देगी।’ विश्लेषक ने कहा कि व्यवसाय वृद्घि अपरोक्ष तौर पर रोजगार पैदा करेगी। अन्य विश्लेषकों का भी कहना है कि आरआईएल ने दक्षता और प्रतिभाएं आकर्षित करने के लिए अनुबंध मॉडल पर अमल किया है। उद्यो के एक विश्लेषक ने कहा, ‘कंपनी का खास व्यवसाय या परियोजना के लिए ऊंचे वेतन पर निर्धारित अवधि के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करने का इतिहास रहा है।’
टीमलीज सर्विसेज के लिए वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रबंधन प्रतिनिधि नीति शर्मा का कहना है कि कंपनियों विस्तार के दौरान ज्यादा कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं और जब उनके व्यवसाय मजबूत हो जाते हैं, तो नियुक्तियों में नरमी की जाती है। विस्तार या विलय एवं अधिग्रहण के दौरान कर्मचारियों की शुरुआती संख्या ज्यादा रह सकती है।