नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने 63 मून्स टेक्नोलॉजिज की अपील पर संकटग्रस्त आवास वित्त कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के लिए पीरामल समूह की समाधान योजना के कार्यान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। 63 मून्स टेक्नोलॉजिज ने इसके लिए अंतरिम स्थगनादेश जारी करने की गुहार लगाई थी।
इस मामले की अध्यक्षता वाले पीठ ने एक लिखित आदेश में कहा, ‘हमें नहीं लगता कि मंजूर की गई समाधान योजना के संदर्भ में कोई अंतरिम आदेश जारी करने की आवश्यकता है।’ 63 मून्स टेक्नोलॉजिज ने दलील दी कि समाधान योजना का कार्यान्वयन उसकी अपील के नतीजों पर निर्भर होना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, ‘हमने देखा है कि यह कानून का मामला है और हमें कोई
विशिष्ट आदेश जारी करने की जरूरत नहीं है।’
डीएचएफएल मामले में एनसीएलटी ने पीरामल समूह की समाधान योजना को मंजूरी दी है लेकिन 63 मून्स टेक्नोलॉजिज ने उसके खिलाफ एनसीएलएटी में अपील की थी। उसके पास डीएचएफएल द्वारा जारी करीब 200 करोड़ रुपये मूल्य के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर मौजूद हैं। कंपनी का कहना है कि डीएचएफएल के पूर्व-प्रवर्तकों एवं अन्य पक्षों से आईबीसी की धारा 66 के तहत वसूली गई रकम डीएचएफएल के लेनदारों के पास आनी चाहिए। इसके अलावा कंपनी ने आरोप लगाया है कि पीरामल समूह की समाधान योजना से खुद उसे ही लाभ होगा क्योंकि उसे प्रवर्तकों से वसूली का लाभ उठाने की इजाजत होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियुक्त प्रशासक ने ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) की धारा 66 के तहत करीब 45,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी वाले लेनदेन की वसूली के लिए आवेदन दायर की है।