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RBI के डिप्टी गवर्नर का MSMEs को अलर्ट: जलवायु जोखिम को समझें, अर्थव्यवस्था पर डालता है असर

आरबीआई ने कहा कि MSMEs और असंगठित क्षेत्र को जलवायु जोखिम की समझ और जानकारी समय पर लेनी चाहिए।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- July 18, 2025 | 10:08 PM IST

जलवायु परिवर्तन और जलवायु जोखिम मुख्यतः सूक्ष्म, मझोले व लघु उद्योगों, असंगठित क्षेत्रों और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों वाले व्यावसायिक क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इन उधारकर्ताओं के बीच जलवायु परिवर्तन के जोखिमों के बारे में जागरूकता और समझ पैदा करना और आवश्यक जानकारी प्राप्त करना महत्त्वपूर्ण है।

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने 3 जुलाई को पुणे स्थित रिजर्व बैंक के कृषि बैंकिंग महाविद्यालय में आयोजित ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस सम्मेलन में यह कहा। उनका यह भाषण शुक्रवार को रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर डाला गया।  राव ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के जोखिम सीधे सीधे वास्तविक अर्थव्यवस्था पर असर डालते हैं। इसका वित्तीय क्षेत्र पर असर पड़ता है। इससे दिए जाने वाले ऋण पर पड़ता है।’ वित्तीय क्षेत्र के लिए व्यापक जोखिम मूल्यांकन करने के लिए, वास्तविक अर्थव्यवस्था यानी कॉर्पोरेट /संस्थागत उधारकर्ताओं से समय पर प्रासंगिक सूचना मिलना महत्त्वपूर्ण है।

First Published : July 18, 2025 | 10:08 PM IST