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मणिपाल समूह के चेयरमैन डॉ. रंजन पई ने बैजूस के स्वामित्व वाली आकाश एजुकेशनल सर्विसेज में निवेश के लिए बातचीत शुरू की है। सूत्रों के अनुसार बैजूस के संस्थापक बैजू रवींद्रन आकाश में अपनी कुछ हिस्सेदारी 8-9 करोड़ डॉलर में पई को बेच सकते हैं। पई बैजूस के शुरुआती निवेशकों में शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि रवींद्रन इस सौदे से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल अमेरिका की निवेश फर्म डेविडसन केंपनेर कैपिटल मैनेजमेंट को करीब 800 करोड़ रुपये चुकाने में कर सकते हैं। बैजूस मई में लिए गए इस कर्ज का भुगतान करने में तकनीकी रूप से विफल रही थी। पई ने 2011 में पहली बार अपने वेंचर कैपिटल फंड आरिन कैपिटल के जरिये बैजूस में निवेश किया था।
मामले से वाकिफ एक शख्स ने कहा, ‘इस बार पई अपने परिवार के जरिये निवेश के लिए बात कर रहे हैं।’ बैजूस ने इस घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
रंजन पई ने हाल ही में मणिपाल हेल्थ एंटरप्राइजेज में अपनी काफी हिस्सेदारी सिंगापुर के सरकारी वेल्थ फंड टेमासेक को बेच दी थी। टेमासेक ने उसके बाद मणिपाल हेल्थ में 41 फीसदी हिस्सेदारी और खरीद ली, जिसके लिए उसने 16,300 करोड़ रुपये से ज्यादा चुकाए। इससे देश में सबसे बड़ी अस्पताल श्रृंखला चलाने वाली कंपनी में उसकी कुल हिस्सेदारी बढ़कर 59 फीसदी हो गई है।
सूत्रों ने कहा कि बैजूस आकाश के लिए अतिरिक्त 20 करोड़ डॉलर जुटाने की संभावना तलाश रही है और इसके लिए विभिन्न देशों के सरकारी वेल्थ फंडों से बात कर रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि बैजूस को डेविडसन केंपनर से कुल 2,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी।
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लेकिन बैजूस का 1.2 अरब डॉलर के अपने टर्म लोन बी पर अमेरिकी ऋणदाता से कानूनी विवाद हो गया। कंपनी 4 करोड़ डॉलर के कर्ज पर ब्याज भुगतान भी नहीं कर रही है। इससे डेविडसन केंपनर कैपिटल एडटेक फर्म को आगे की किस्त रोकने या आवंटन धीमा करने पर विचार कर रही है।
पई से मिलने वाली रकम से बैजूस को आकाश के गिरवी शेयर छुड़ाने में भी मदद मिलेगी, जिसे कंपनी ने डेविडसन केंपनर के पास रेहन रखा है।
बैजूस ने ऑफलाइन कोचिंग सेंटर एईएसएल को 2021 में करीब 1 अरब रुपये के नकद एवं शेयर सौदे में खरीदा था। वित्त वर्ष 2021 में खुद बैजूस को 4,588 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जो वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 19 गुना ज्यादा था। मगर आकाश उसके लिए बेहतरीन प्रदर्शन वाला अधिग्रहण साबित हुआ है।
अधिग्रहण के बाद आकाश को बैजूस के साथ कई प्रकार के तालमेल का फायदा मिला है और उसकी वृद्धि तेज हुई है। इसीलिए पिछले दो साल में उसकी आय तीन से चार गुना बढ़ गई। हाल में बैजूस ने कहा था कि एईएसएल की आय वित्त वर्ष 2024 में 900 करोड़ रुपये के एबिटा के साथ 4,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
हाल में बैजूस ने घोषणा की है कि वह अगले साल के मध्य तक आकाश के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देगी। आकाश के संस्थापक चौधरी परिवार की एईएसएल में फिलहाल 18 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें ब्लैकस्टोन की 12 फीसदी, टीएलपीएल की 43 फीसदी और बैजूस के संस्थापक बैजू रवींद्रन की 27 फीसदी हिस्सेदारी है। आकाश के देश भर में 325 से अधिक सेंटर हैं, जिनमें 4 लाख से अधिक छात्र पढ़ते हैं।
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बैजूस ने आकाश के संस्थापकों को नोटिस भेजकर शेयर सौंपे जाने की मांग की है। सूत्रों ने बताया कि शेयर सौंपने में आकाश के संस्थापकों की कथित आनाकानी के बाद यह नोटिस भेजा गया है, जबकि एईएसएल की बिक्री के तहत उन्हें यह काम बिना शर्त करना था।
सौदे के तहत एईएसएल का टीएलपीएल के साथ विलय किया जाना था। प्रस्तावित विलय को लेकर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के फैसले में देर होने के कारण टीएलपीएल ने बिना शर्त समझौते को लागू कर दिया है और चौधरी परिवार को नोटिस जारी कर शेयर हस्तांतरण का अनुरोध किया है।
दूसरी ओर मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि अल्पांश शेयरधारकों ने एईएसएल में अपनी शेयर हिस्सेदारी को मूल कंपनी टीएलपीएल के साथ बदलने से इनकार कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि ब्लैकस्टोन और चौधरी परिवार ने पिछले कुछ हफ्तों में बैजूस को पत्र लिखकर मूल समझौते के अनुसार शेयर हस्तांतरण करने के लिए मार्च में भेजे गए टीएलपीएल के नोटिस को मानने से इनकार कर दिया है।