भारतीय विमान कंपनियों के लिए अब ‘ड्रैगन के देश’ चीन का बाजार खुल गया है।
पिछले महीने चीन और भारत की सरकारों ने एक दूसरे की एयरलाइनों के लिए अपने आसमान खोलने का ‘फिफ्थ फ्रीडम एग्रीमेंट’ क्या किया, भारतीय कंपनियों की लॉटरी ही खुल गई।
अब वे चीन के रास्ते अमेरिकी पश्चिमी तट के लुभावने बाजार का फायदा उठाएंगी और चीन में बढ़ रहे पर्यटन बाजार को दुहना भी उनके लिए आसान हो जाएगा।हिंदुस्तानी कंपनियां भी इसे चुनौती मान रही हैं। तकरीबन सभी कंपनियां सिंगापुर एयरलाइंस और कैथे जैसी प्रतिष्ठित विदेशी विमानन कंपनियों से टक्कर लेने को तैयार हैं। भारत से अमेरिका जाने वाले मुसाफिरों के बाजार का 65 फीसद हिस्सा इन्हीं दोनों एयरलाइनों के पास है।
भारत और चीन के बीच जो फिफ्थ फ्रीडम एग्रीमेंट हुआ है, उसके मुताबिक किसी एक देश की विमानन कंपनी दूसरे देश में उतर सकती है और वहां से मुसाफिरों को लेकर तीसरे देश के लिए उड़ान भर सकती है। चीन ने भारतीय कंपनियों को अपनी जमीन से तीन देशों की उड़ान भरने की इजाजत दी है।
अगर अमेरिकी पहलू को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो भी हर साल तकरीबन 400,000 भारतीय चीन की सैर करने जाते हैं। सैलानियों का यह जबर्दस्त बाजार भी विमानन कंपनियों को लुभा रहा है। इनमें से भी 100,000 मुसाफिर तो चीन की दीवार ही देखने जाते हैं। इस तादाद में हर साल 15 फीसद की दर से इजाफा भी हो रहा है। जानकारों की मानें, तो भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें बढ़ने से इसमें और भी तेज बढ़ोतरी होगी।
अमेरिका के पश्चिमी तट से एशिया जाने वाले 70 फीसद यात्री चीन या भारत ही आते हैं। जाहिर है, एयरलाइंस की नजर इस पर भी है। मिसाल के तौर पर, जेट एयरवेज इसी साल मई में मुंबई-शांघाई-सान फ्रांसिस्को उड़ान चालू करने जा रही है। वह चीन में अपना दूसरा हब बनाने पर भी विचार कर रही है।
जेट के लिए शांघाई के रास्ते अमेरिका उड़ने के ज्यादा कारोबारी फायदे हैं। दरअसल यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया में दूसरे रूटों के बाजारों में विकास की ज्यादा गुंजाइश नहीं रह गई है। लेकिन चीन वाले रूट का बाजार अभी विकसित होना शुरू ही हुआ है। जाहिर है, इसमें बाजार पर कब्जे की गुंजाइश भी ज्यादा है।
जेट एयरवेज के मुख्य कार्यकारी वोल्फगैंग प्रॉक शॉर कहते हैं, ‘शांघाई के रास्ते सान फ्रांसिस्को की उड़ान सही कदम है क्योंकि यह सबसे छोटा रास्ता है। इससे मुसाफिरों का डेढ़ घंटा बच जाएगा।’
मुंबई से शांघाई की सीघी उड़ान भी कंपनियों को पसंद आ सकती हैं क्योंकि चीन जाने वाले 37 फीसद भारतीय मुंबई से ही आते हैं। जेट इस रास्ते पर दैनिक उड़ान संचालित करेगी।
विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस और दूसरी विमानन कंपनियां भी पीछे नहीं हैं। किंगफिशर एयरलाइंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष हितेश पटेल कहते हैं, ‘शांघाई में यात्रा की संभावनाओं को अब तक अनदेखा किया गया है। हमें लगता है कि भारतीय यात्रियों के लिए यह बहुत शानदार बाजार है। बाजार बड़ा है, इसलिए हमें वाकई उसमें दिलचस्पी है।’