बीएस बातचीत
आईबीएम के लिए भारत एक ऐसा बाजार है जो उसके राजस्व में करीब 27,000 करोड़ रुपये का योगदान करता है और जहां कंपनी का करीब एक तिहाई वैश्विक कर्मचारी मौजूद है। इसलिए भारत आईबीएम के लिए काफी महत्त्वपूर्ण बाजार है। भारत एवं दक्षिण एशियाई कारोबार के लिए आईबीएम के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल को जनवरी में भारत स्थानांतरित किया गया था लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण कारोबार और लोगों के जीवन में हुए व्यवधान के कारण वह अपनी स्थिति सुदृढ़ भी नहीं कर पाए। पटेल ने विभु रंजन मिश्रा और साई ईश्वर से बातचीत में कहा कि प्रतिभा और प्रौद्योगिकी की खपत दोनों मोर्चे पर नए माहौल में भी भारत की प्रासंगिकता बढ़ रही है। पेश हैं मुख्य अंश:
भारत में आईबीएम का काफी कारोबार लेकिन वैश्विक महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई है। ऐसे माहौल में आप किस प्रकार अवसर सृजित करेंगे?
मैं समझता हूं कि तीन मुख्य बदलाव दुनिया को आकार दे रहे हैं। पहला, पूरा डिजिटल बदलाव और डिजिटल परिवेश को बढ़ावा देना। यह हमारे जीवन की हरेक पहलू को छू रहा है। दूसरा बदलाव नया कारोबारी मॉडल है जो जिसे अब कहीं अधिक लागत कुशलता, तत्परता और सुरक्षा की जरूरत है। साथ ही, इन डिजिटल आपूर्ति शृंखला को समर्थ बनाने और नए कारोबारी मॉडल में राजस्व के नए अवसर (हमारे लिए) मौजूद हैं। उदाहरण के लिए खुदरा क्षेत्र को ही लेते हैं जहां डिजिटल और ई-कॉमर्स दक्षता में अचानक तेजी आई है। कंपनियां अब निवेश के लिए ऑफलाइन स्टोर के बजाय ई-कॉमर्स पर अधिक ध्यान दे रही हैं। तीसरा, नेटवर्क अर्थव्यवस्था का उदय लोगों के काम करने और मिलने-जुलने के तरीके को परिभाषित कर रहा है। ऐसे में क्लाउड और सिक्योरिटी की भूमिका वास्तव में काफी महत्त्वपूर्ण हो गई है।
डिजिटल में और अधिक निवेश होने के आसार हैं। क्या इससे देश में बड़ी परियोजनाओं के बजाय तमाम छोटेमोटे अवसर पैदा होंगे?
बिल्कुल, हमें लघु अवधि में काफी छोटेमोटे अवसर दिख रहे हैं क्योंकि ग्राहक नई सामान्य स्थिति में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए आपको काफी अवसर दिख रहे हैं। दूसरी तरफ, हमने एयरटेल और वोडाफोन से संबंधित दो घोषणाएं की हैं जो महत्त्वपूर्ण बदलाव से संबंधित हैं क्योंकि वे अपने नेटवर्क में क्लाउड का इस्तेमाल शुरू कर रहे हैं। इससे तहत वे क्लाउड स्टैक तैयार कर रहे हैं जिससे वे 5जी सेवाओं के लिए कहीं अधिक चुस्त और समर्थ बनेंगे। इसलिए मैं यह किसी एक या दूसरे की बात नहीं कहना चाहूंगा, बल्कि हम दोनों को स्वस्थ मेल दिख रहे हैं।
अनिश्चितता के कारण बहुत सारे ग्राहक अपने विवेकाधीन खर्च में कटौती करना चाहते हैं। क्या आपको इस प्रकार की समस्या से जूझना पड़ा है?
हरेक उपक्रम अपने खर्च को लेकर सतर्क है। इसलिए कुछ ग्राहक अपने खर्च को नए सिरे से प्राथमिकता देने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उन नए बाजारों में मौजूद अवसरों को भुनाने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं जिन पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है। लेकिन ठीक उसी समय वह थोड़ी सावधानी भी बरत रहे हैं क्योंकि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए निवेश किया जाए।
क्या इसका मतलब यह हुआ कि भारतीय बाजार के संदर्भ में आईबीएम के दृष्टिकोण में कोई बदलाव आया है कम से कम मध्यावधि के लिए?
हमने हमेशा से वित्तीय सेवा, दूरसंचार और विनिर्माण, खासकर कोर सिस्टम और ईआरपी से संबंधित कार्र्यों पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं। मैं समझता हूं कि वित्तीय सेवा एवं दूरसंचार क्षेत्रों पर कोविड वैश्विक महामारी का अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है जबकि विनिर्माण कहीं अधिक प्रभावित हुआ है। इसलिए पहले दो उद्योग पर हमें ध्यान केंद्रित करना जारी रखना चाहिए। वित्तीय सेवा क्षेत्र में हम जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं उनमें से एक है बीमा क्योंकि कोविड के बाद इसमें काफी वृद्धि दिखने की उम्मीद है। इसके अलावा हम जिस दूसरे क्षेत्र में आवश्यक प्लेटफॉर्मों के साथ काम शुरू कर रहे हैं वह है सरकारी क्षेत्र। हमने महामारी के दौरान आईसीएमआर और कृषि मंत्रालय के साथ काम किया है। हम उन क्षेत्रों को तलाश रहे हैं जहां सरकारी डिजिटलीकरण परियोजना में हम वास्तविक मूल्य जोड़ सकते हैं।