डिब्बा बंद वस्तुओं की कीमत में बहुत जल्द 1-2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
गुरुवार को फेडरेशन ऑफ कोरोगेट्ड बॉक्स मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने इस बात के स्पष्ट संकेत दिए हैं। इन उद्यमियों का कहना है कि पिछले तीन सालों में पैकिंग डिब्बे की लागत 50 फीसदी तक बढ़ गयी है, लेकिन उन्होंने कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।
लागत में होने वाली बढ़ोतरी के विरोध में इन उद्यमियों ने 29 जून से तीन दिनों के लिए देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। इस विरोध प्रदर्शन का यह भी मकसद है कि उपभोक्ता अब डिब्बे की बढ़ी हुई लागत के मुताबिक, कीमत देने के लिए तैयार हो जाए। तीन दिन के इस विरोध प्रदर्शन के दौरान देश भर के 10,000 से अधिक पैकिंग डिब्बा निर्माता अपना उत्पादन बंद रखेंगे। इससे 1050 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष हरीश मदान ने बताया कि पैक्ड वस्तुओं की कीमत में उनकी हिस्सेदारी 2.5-4 फीसदी की होती है। यानी किसी वस्तु की कीमत 100 रुपये है, तो इसमें पैकेजिंग की लागत 4 रुपये है। पैकिंग डिब्बा उद्यमी फेडरेशन का कहना है कि वे कम से कम 50 फीसदी तक का इजाफा चाहते हैं। अन्यथा उन्हें अपनी इकाइयों को बंद करना पड़ेगा।
फेडरेशन के अध्यक्ष सतीश त्यागी के मुताबिक लागत में बढ़ोतरी के कारण 2004 से लेकर अब तक पैकिंग डिब्बा उद्योग से जुड़ी 20 फीसदी इकाइयां बंद हो चुकी हैं। त्यागी के मुताबिक, स्टार्च 2004-08 के दौरान स्टार्च पाउडर की कीमत में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, तो स्याही की कीमत में 15 फीसदी, वायर स्टीचिंग में 90 फीसदी, स्ट्रैपिंग रौल व पैकिंग एक्सपेंसेज में 40 फीसदी, ईंधन में 80 फीसदी तो श्रम पर होने वाले कुल खर्च में 70 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
लेकिन इन चार सालों में उन्होंने अपने उत्पाद की कीमत में बढ़ोतरी नहीं की। गत मार्च से लेकर अबतक क्राफ्ट पेपर की कीमतों में 4500 रुपये मैट्रिक टन की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इन उद्यमियों को सबसे अधिक समस्या कागज के लगातार बढ़ रही कीमतों से हो रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि क्राफ्ट पेपर को आयात शुल्क से मुक्त किया जाए। फिलहाल इस पर 34 फीसदी का आयात शुल्क है।
देश के कुल निर्यात व्यापार में पैकिंग डिब्बों की हिस्सेदारी 4 फीसदी है। ऐसे में उम्दा कागज मिलने से वे अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैकेजिंग कर पाएंगे। पैकिंग डिब्बा उद्योग के जरिए देश में प्रतिवर्ष लगभग 33 लाख टन कागज का इस्तेमाल किया जाता है। यह उद्योग सालाना 10,000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है और इससे 2000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है।
डिब्बा बंद वस्तुएं हो सकती हैं 1-2 फीसदी महंगी
तीन सालों में पैकिंग डिब्बे की लागत 50 फीसदी तक बढ़ गई है
महंगाई के कारण बंद हो रही हैं इकाइयां
29 जून से देशव्यापी हड़ताल की उद्यमियों ने की घोषणा