यह साल खत्म होने की देहरी पर है। आंकड़ों से पता चलता है कि निवेश एवं अधिग्रहण के लिहाज से सीमेंट क्षेत्र के लिए यह सबसे व्यस्त साल रहा। संकलित आंकड़े दर्शाते हैं कि इस साल सीमेंट क्षेत्र में दस से अधिक सौदे दर्ज किए गए हैं। भले ही सीमेंट की कीमतों पर दबाव बरकरार हो, लेकिन इनमें से अधिकतर सौदों ने शीर्ष चार की सीमेंट क्षेत्र में परिसंपत्तियां बढ़ा दी हैं।
ब्लूमबर्ग के आंकड़े बताते हैं कि इस साल 11 सौदों के जरिये सीमेंट परिसंपत्तियों ने अधिग्रहण और नई रकम आकर्षित की। यह 2014 के बाद से सर्वाधिक सौदों वाला साल रहा। मूल्य के लिहाज से घोषित निवेश का कुल मूल्य 3.5 अरब डॉलर से अधिक था।
केयरएज रेटिंग्स में निदेशक रवलीन सेठी ने कहा, ‘उद्योग में विलय-अधिग्रहण गतिविधियों उल्लेखनीय उछाल दर्ज किया जा रहा है जिससे मजबूत एकीकरण हो रहा है। अप्रैल 2014 के बाद से उद्योग में करीब 20.4 करोड़ टन क्षमता में मालिकाना बदलाव हुआ है। और इसमें से भी करीब 12.5 करोड़ टन के सौदे वित्त वर्ष 2023 से नवंबर 2024 के बीच हुए हैं।’
इन सौदों को सीमेंट की कमजोर कीमतें और साल 2024 की शुरुआत में चुनाव और मॉनसून के दौरान कमजोर मांग के बीच अंतिम रूप दिया गया। साल के अधिकांश समय सीमेंट कंपनियां ज्यादा कीमतें नहीं बढ़ा पाईं और ऐसा करने के उनके कई प्रयास विफल भी हुए।
नुवामा के विश्लेषकों ने 9 दिसंबर की अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हमारा मानना है कि कीमतें निचले स्तर पर आ गई हैं। मगर बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण हाल के समय में कीमतों में भारी वृद्धि की गुंजाइश नहीं दिख रही है।’
ब्रोकरेज फर्म का अनुमान है कि वित्त वर्ष 25 में 4 से 5 फीसदी की मात्रात्मक वृद्धि होगी जो वित्त वर्ष 2024 में दर्ज की गई 9 फीसदी वृद्धि के मुकाबले काफी कम है। इस साल भारत में हुए कुछ प्रमुख सौदों में अल्ट्राटेक सीमेंट और अदाणी समूह वाली अंबुजा सीमेंट्स और दक्षिण के बाजार में केंद्रित थे।
सेठी ने कहा, ‘बीते 5 वर्षों में अधिकतर ऋणग्रस्त परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया गया है। लेकिन हमें एकीकरण में तेजी की उम्मीद है क्योंकि अपेक्षाकृत कमजोर मझोले आकार और छोटी परिसंपत्तियों पर ध्यान दिया जाएगा। सभी बाजारों में से हमें उम्मीद है कि दक्षिण भारत अभी भी एकीकरण के लिए बड़ा आधार दे रहा है। पन्ना, केसोराम, इंडिया सीमेंट्स और ओरिएंट सीमेंट्स के बारे में की गई घोषणाओं की तुलना में दक्षिण का बाजार अन्य इलाकों के मुकाबले सबसे बिखरा हुआ बाजार है।’