बीएस बातचीत
कार्नेलियन ऐसेट मैनेजमेंट के संस्थापक विकास खेमानी ने विशाल छाबडिय़ा के साथ बातचीत में कहा कि जहां 2020-21 के लिए आय को लेकर दबाव पड़ा है, वहीं ब्याज दरों में आई नरमी से इसकी भरपाई भी हुई है। आय वृद्घि पटरी पर लौटेगी, और जब ऐसा होगा तो बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा। क्षेत्रों में खेमनानी को आईटी, फार्मा, उद्योग, जरूरी खपत और वित्त पसंद हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
बाजार में अच्छी तेजी आई है और प्रमुख सूचकांक सर्वाधिक ऊंचे स्तरों से 10-12 प्रतिशत दूर हैं, लेकिन आय संभावना में ज्यादा सुधार नहीं दिख रहा है। क्या बाजार बुलबुले जैसी स्थिति में है?
निचले स्तरों से बाजार में सुधार की गति निश्चित तौर पर काफी मजबूत है और इससे कारोबारियों में उत्साह की भावना पैदा हुई है। हालांकि आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि कोविड संकट के बीच अच्छे अवसर भी मौजूद हैं। कम ब्याज दरें इक्विटी बाजारों के लिए अच्छा संकेत हैं। दो चीजें इक्विटी के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण हैं – आय और पूंजी की लागत। जहां 2020-21 के लिए आय पर दबाव दिखा है, वहीं ब्याज दर में कमी से इसकी भरपाई हुई। जब आय वृद्घि फिर से मजबूत होगी, बाजार भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हालांकि अल्पावधि गिरावट और उतार चढ़ाव किसी भी समय देखा जा सकता है।
ग्रामीण भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इससे किस हद तक जीडीपी बढ़ाने और भारतीय उद्योग जगत की आय में सुधार लाने में मदद मिल सकेगी?
हां, ग्रामीण भारत अपेक्षाकृत कोविड संकट से बचा हुआ है। सिर्फ बात कृषि उत्पादकता की नहीं है बल्कि ग्रामीण खपत से भी जीडीपी के योगदान में मदद मिलती है। इससे जीडीपी और आय दोनों को मदद मिलेगी।
क्या आप निर्माण और सेवा जैसे अन्य क्षेत्रों में भी सुधार की उम्मीद कर रहे हैं?
मैं भारत को अगले 5-10 वर्षों के दौरान निर्माण बूम की स्थिति में आने की संभावना देख रहा हूं और यह सभी के लिए आश्चर्यजनक होगा। अगले पांच-सात वर्षों में निर्माण जीडीपी 1 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच सकती है। आयात विकल्प और निर्यात पर जोर दिए जाने के प्रयासों के बीच कोविड-19 संकट स्थानीय निर्माण में वृद्घि के लिए बेहद बड़ा उत्प्रेरक है। क्या आप जानते हैं कि भारत में चीन की तुलना में श्रम लागत आधी है, विद्युत लागत समान है और लॉजिस्टिक लागत भी एक-तिहाई है। भारत पहले से ही प्रतिस्पर्धी है और इस घटनाक्रम, दर और गैर-दर बाधाओं के साथ, हम उत्प्रेरक के तौर पर काम करेंगे। सेवा क्षेत्र में भी, आईटी सेवाओं में बड़ी वृद्घि दिखेगी। हरेक संगठन नई डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए तैयार है और इस पर अरबों डॉलर खर्च होंगे। यह वाई2के की तरह गैर-डिस्क्रेशनरी है। हम आईटी सेवाओं में बड़ी वृद्घि देखेंगे।
कई बैंकों ने इक्विटी और डेट के जरिये भारी पूंजी जुटाई है, भले ही उनका पूंजी पर्याप्तता अनुपात अनुकूल था? क्या यह एनपीए में तेजी से मुकाबले की तैयारी है?
कोविड-19 महामारी की वजह से, खासकर बैंकिंग क्षेत्र के लिए कई तरह की अल्पावधि अनिश्चितताएं पैदा हुईं। इस महामारी ने एमएसएमई और वेतनभोगी तथा स्वरोजगार से जुड़े लोगों, सभी के लिए नकदी प्रवाह और मुनाफे की समस्याएं पैदा की हैं। इससे उद्योग में गैर-निष्पादित ऋणों (एनपीएल) का खतरा पैदा होने की आशंका है। इसलिए बैंकिंग व्यवसाय को इसके लिए तैयार रहने और बैलेंस शीट मजबूत बनाए रखे की जरूरत होगी। यदि एनपीएल अनुमान से कम रहता है तो बैंक तीन-पांच साल के लिए पूंजी उगाही के बगैर आगे बढऩे में सफल रह सकते हैं।
ऐसा समय था जब खपत प्रमुख थीम बन गई। अगले एक-दो साल के संदर्भ में इसे लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
खपत अभी भी प्रमुख थीम है और अगले दो दशकों तक यह बरकरार रहेगा। भारत युवा और आकांक्षी आबादी वाला देश है। गैर-डिस्क्रेशनरी खर्च आय में वृद्घि से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस पर कुछ दबाव दिख सकता है, लेकिन इसमें तेजी निश्चित तौर पर आएगी। कमजोर मांग को देखते हुए कई शेयर गिरे हैं, जिससे निवेश के लिए अवसर पैदा हुआ है।
जिंसों की बढ़ती वैश्विक कीमतों को आप कैसे देखते हैं?
जिंस जैसे वैश्विक साइक्लिकल व्यवस्था की नकदी से मजबूती के साथ जुड़े होते हैं। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों की तरफ से मात्रात्मक सहजता और राजकोषीय खर्च से जिंसों में अच्छी खासी तेजी आएगी। हम जिंसों में तीन-चार तक तेजी देख रहे हैं। यह शायद 2003 से 2007 की अवधि जैसा हो सकता है।
मौजूदा परिस्थितियों में शेयर का चयन करना कितना मुश्किल हो गया है?
हर तरह के बाजार में शेयर का चयन हमेशा से अहम रहा है। शेयर का चयन करने वालों के लिए अभी यह बहुत अच्छा बाजार है। हमें भारत में रिकवरी का पूरा भरोसा है। भारत में विस्तृत रिकवरी देखने को मिलेगी।
शेयरों व विभिन्न क्षेत्रों को लेकर आपकी क्या प्राथमिकताएं हैं?
हमें आईटी, फार्मा, इंडस्ट्रियल, नॉन-डिस्क्रिशनरी कंजम्पशन और वित्तीय क्षेत्र, खास तौर से नॉन क्रेडिट फाइनैंंशियल पसंद हैं।
इक्विटी में प्रत्यक्ष तौर पर बढ़ती खुदरा भागीदारी को आप कैसे देखते हैं?
प्रत्यक्ष खुदरा भागीदारी में इजाफा चिंताजनक है। हमने देखा है कि बिना फंडामेंटल वाले कई चवन्नी शेयरों की ट्रेडिंग हो रही है। लोग ज्यादा ट्रेडिंग कर रहे हैं। बाजार आपको हमेशा निराश कर सकता है। अल्पावधि का उल्लास का माहौल देखा जा सकता है। म्युचुअल फंडों व पीएमएस के जरिए भागीदारी सबसे अच्छा होता है।