ताज नगरी आगरा की मार्बल हैंडीक्राफ्ट इकाइयां उत्पादों पर मूल्यवर्धित कर (वैट) थोपे जाने के खिलाफ राज्य के वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण में एक अपील दायर करने की तैयारी कर रही हैं।
ये इकाइयां इस मुद्दे पर हाल में ही एक-दिवसीय हड़ताल भी कर चुकी हैं। इस उद्योग के जानकारों का कहना है कि हर साल विदेशी मुद्रा में तकरीबन 400 करोड़ रुपये कमाने वाले इस उद्योग के लिए यह पहली हड़ताल थी।
संगमरमर हस्तशिल्प उत्पाद मशीन से बनाए जाने वाले संगमरमर सामानों की तरह ही हैं। इनमें उत्पादों में फ्लोर टाइल्स और सैनिटरी फिक्सचर प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह कर जनवरी 2008 से ही सभी तरह के संगमरमर टाइल्स कारोबार पर लागू है। पिछले महीने के दौरान कई एम्पोरियमों को कर चुकाए जाने के संबंध में नोटिस जारी किए गए हैं।
यूपी हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट सेंटर के चेयरमैन प्रहलाद अग्रवाल कहते हैं कि चूंकि ये उत्पाद हाथ से तैयार किए जाते हैं और ऐसे ज्यादातर उत्पादों को पर्यटकों द्वारा खरीदा जाता है, इसलिए वे वैट कानून के छूट प्रावधान ‘गुड्स ऑफ लोकल इम्पोटर्ेंस’ के तहत आते हैं।
ये उत्पाद स्थानीय तौर पर बनाई जाने वाली कालीनों के समान ही हैं जिन्हें वैट से मुक्त रखा गया है। अग्रवाल ने कहा कि यह मुद्दा वाणिज्यिक कर आयुक्त और राज्य सरकार द्वारा तैनात एक अतिरिक्त आयुक्त के समक्ष उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय निर्माता इस मुद्दे को लेकर वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण के समक्ष अपील करेंगे। उन्हें अपने पक्ष में फैसला होने की उम्मीद है अन्यथा वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। ऐसी ही एक इकाई मार्बल एम्पोरियम के निदेशक दिनेश चंद बंसल का कहना है कि देश में अन्य हस्तशिल्प उत्पादों पर इस तरह का कर लागू नहीं है।
इस वजह से सामानों के मंहगे होने के साथ-साथ इसका एम्पोरियमों और कारीगरों पर भी बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा एम्पोरियम मालिकों के सिर पर दस्तावेजीकरण का काम भी आ गया है।
