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मदरसन का बड़ा दांव, जापान की ऑटो पार्ट्स दिग्गज मारेली के अधिग्रहण की योजना

इस सौदे में मदरसन समूह $20 सेंट प्रति की दर से कर्ज खरीदेगा जबकि क्क्र अपनी पूरी इक्विटी को बट्टे खाते डाल देगा। हालांकि चल रही बातचीत पर केकेआर ने टिप्पणी से इनकार कर दिया।

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देव चटर्जी   
Last Updated- May 26, 2025 | 8:36 AM IST

भारत में वाहन-पुर्जों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता मदरसन समूह जापान की मारेली होल्डिंग्स को खरीदने के लिए पेशकश की तैयारी कर रहा है। मामले के जानकार लोगों ने बताया कि समूह सोमवार को अमेरिकी निजी इक्विटी फर्म केकेआर ऐंड कंपनी को अपना प्रस्ताव देगा।

सूत्र ने कहा कि इस पेशकश के मारेली के ऋणदाताओं के पास जाने की उम्मीद है जिनमें जापानी बैंकों का समूह भी शामिल है। इन बैंकों के पास कंपनी के 4.2 अरब डॉलर के ऋण का बड़ा भारी हिस्सा है और ऋण में कटौती करने पर उनकी सहमति जरूरी है।

नाम नहीं बताने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि अधिकांश ऋणदाता इस सौदे के पक्ष में हैं। सूत्र ने बताया कि इस सौदे में मदरसन समूह 20 सेंट प्रति डॉलर की दर से कर्ज खरीदेगा जबकि केकेआर अपनी पूरी इक्विटी को बट्टे खाते डाल देगा। हालांकि चल रही बातचीत पर केकेआर ने टिप्पणी से इनकार कर दिया। इस बारे में मदरसन को भेजे गए ईमेल का भी कोई जवाब नहीं मिला।

केकेआर के कैलसोनिक कांसेई और मैग्नेटी मारेली के विलय के बाद 2019 में मारेली की स्थापना की गई थी। सूत्र ने कहा कि जापानी इकाई के आर्थिक संकटों से जूझने पर केकेआर ने साल 2022 में अपना 2 अरब डॉलर का निवेश रद्द कर दिया और नई पूंजी 65 करोड़ डॉलर का निवेश किया। मारेली के प्रदर्शन में तब से सुधार हुआ है, मार्जिन में सुधार के संकेत दिख रहे हैं मगर इसका नकदी प्रवाह अभी भी ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

कहा जा रहा है कि मिजुहो बैंक के नेतृत्व में जापानी ऋणदाताओं के पास मारेली के बकाया ऋण का लगभग आधा हिस्सा है जबकि शेष हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं के पास है। इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक ने बताया कि अगर मदरसन इसका अधिग्रहण कर लेता है तो वह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी, जिससे कंपनी दुनिया के शीर्ष वाहन पुर्जा आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो जाएगी।

मारेली निसान मोटर कंपनी और स्टेलेंटिस जैसी अन्य वैश्विक वाहन निर्माताओं की प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। जापानी इकाई और केकेआर ने लागत कम करने के लिए कंपनी की विनिर्माण इकाइयों का हिस्सा दूसरे देशों में निर्यात करने की कोशिश की लेकिन ऋणदाताओं ने उनके प्रयासों को रोक दिया।

First Published : May 26, 2025 | 8:36 AM IST