वैश्विक महामारी और उसकी वजह से हुए लॉकडाउन और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज की किस्त टालने की घोषणा से प्रतिभूतिकरण की मात्रा पर उल्लेखनीय असर पड़ा है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में प्रतिभूतिकरण की मात्रा घटकर 7,500 करोड़ रुपये रह गई, जो पिछलेसाल की समान अवधि में 50,300 करोड़ रुपये थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से तमाम उधारी लेने वालों की आय सृजन की क्षमता प्रभावित हुई है, इसकी वजह से नए प्रतिभूतिकरण लेन देन में निवेशकों ने लेन देन टाल दिया है, क्योंकि खुदरा उधारी लेने वालों की कर्ज भुगतान करने की क्षमता घटने की संभावना नजर आ रही है।
मार्च से अगस्त तक कर्ज की किस्त टालने की छूट दिए जाने से प्रतिभूतिकरण में मदद नहीं मिली है। इक्रा ने कहा, ‘रिजर्व बैंक की कर्ज की किस्त टालने की नीति से खुदरा उधारी लेने वालों को राहत मिली है, लेकिन यह प्रतिभूतिकरण बाजार के लिए हानिकारक रहा। इसकी वजह से निवेशक शुरुआती महीनों में अनियमित नकदी प्रवाह के कारण इस पूल से दूर रहे।’
संपत्ति की श्रेणियों में वाणिज्यिक वाहन कर्ज की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में कुल प्रतिभूतिकरण की मात्रा में 31 प्रतिशत रही और गिरवीं समर्थित प्रतिभूतिकरण की हिस्सेदारी में वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में गिरावट आई। यह 26 प्रतिशत रह गया, जो वित्त वर्ष 19 की पहली तिमाही में कुल मात्रा का 48 प्रतिशत था। गोल्ड लोन इस अवधि में बढ़कर 32 प्रतिशत हुआ है, जिसकी पिछले साल हिस्सेदारी 113 प्रतिशत थी।