कंपनियां

किराना व क्विक कॉमर्स में प्रतिस्पर्धा की चिंता पर नजर

सरकारी सूत्रों ने बताया कि हाल ही में कंपनी मामलों के मंत्रालय के साथ प्रस्तावित विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यह मुद्दा उठाया।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
आर्यमन गुप्ता   
Last Updated- August 28, 2024 | 11:30 PM IST

सरकार देखेगी कि स्थानीय किराना दुकानों के कारोबार पर झटपट सामान पहुंचाने वाले क्विक कॉमर्स उद्योग के कारण असर पड़ने की चिंता दूर करने के लिए डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक में क्या किया जा सकता है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि हाल ही में कंपनी मामलों के मंत्रालय के साथ प्रस्तावित विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यह मुद्दा उठाया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें देखना होगा कि विधेयक किस तरह इन समस्याओं का समाधान कर सकता है। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि इस पर नियंत्रण के प्रावधानों को शामिल करने के लिए क्या किया जा सकता है।’ इस बारे में जानकारी के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को ईमेल भेजे गए। लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

विधेयक में प्रतिकूल असर रोकने के लिए निवारक नियमों का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत डिजिटल कंपनियां भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को बताएंगी कि वे गुणों और मात्रा के तय पैमानों के हिसाब से प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल उपक्रम या सिस्टमैटिकली सिग्निफिकेंट डिजिटल एंटरप्राइज (एसएसडीई) की अर्हता पूरी करती हैं या नहीं। खबर हैं कि सरकार सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन मार्केटप्लेस समेत विभिन्न प्रकार की डिजिटल कंपनियों को दायरे में लाने के लिए एसएसडीई के मानदंड नए सिरे से तय कर सकती है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले हफ्ते कहा था कि सरकार ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं है मगर उसका जोर ऑनलाइन और ऑफलाइन कारोबार के बीच उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने पर है। गोयल ने इससे पहले कहा था कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में हो रही तेज वृद्धि गर्व नहीं बल्कि चिंता का सबब है। उन्होंने आगाह किया कि इससे पारंपरिक रिटेल में नौकरियां घट सकती हैं।

उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार ई-कॉमर्स क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को नियामकीय जांच के बारे में अच्छी तरह पता है। उनमें से कई किराना दुकानों को अपने कारोबारी मॉडल में शामिल करने की दिशा में पहले से ही काम कर रही हैं। मामले की जानकारी रखने वालों के मुताबिक फ्लिपकार्ट हाल ही में क्विक कॉमर्स क्षेत्र में उतरी है और किराना दुकानों की मदद से ‘मिनट्स’ नाम से सेवाएं दे रही हैं।

डार्क स्टोरों पर ज्यादा निर्भर रहने के बजाय फ्लिपकार्ट ने कई किराना दुकानों के साथ गठजोड़ किया है। वह उन दुकानों को झटपट डिलिवरी के लिए जरूरी आपूर्ति श्रृंखला तकनीक मुहैया करा रही है ताकि उनका इस्तेमाल फुलफिलमेंट सेंटर के रूप में किया जा सके। क्विक कॉमर्स कंपनियों को लगता है कि इस क्षेत्र को समय से पहले ही नियामकीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

एक क्विक कॉमर्स फर्म के अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘इस तरह की नियामकीय जांच-पड़ताल के लिए यह क्षेत्र अभी बहुत छोटा और नया है। किराना दुकानों पर शुरुआत में कुछ असर जरूर पड़ सकता है मगर क्विक कॉमर्स कंपनियां किराना दुकानों को अपने कारोबारी मॉडल के साथ जोड़ रही हैं। ऐसे में समस्या को दूर करने में थोड़ा समय लगेगा।’

उद्योग संस्था अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ ने पिछले हफ्ते वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को ईमेल भेजकर कहा था कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की अप्रत्याशित वृद्धि ने देश में पारंपरिक खुदरा क्षेत्र और एफएमसीजी वितरण नेटवर्क के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

First Published : August 28, 2024 | 11:20 PM IST