कपिल वधावन के प्रस्ताव पर होगा विचार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:33 AM IST

दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) मामले में नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने अपने एक लिखित आदेश में कहा है कि पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन के दूसरे प्रस्ताव की पात्रता के आधार पर जांच की जा सकती है और लेनदानरों की समिति (सीओसी) द्वारा उसे मतदान के लिए रखा जा सकता है।
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा, ‘एडजुकेटिंग अथॉरिटी का मानना है कि दूसरे प्रस्ताव की पात्रता के आधार पर जांच की जा सकती है और उसे निर्णय लेने एवं सीओसी के सदस्यों के मतदान के लिए सामने रखा जा सकता है। इसके तहत सीओसी के सदस्यों द्वारा यदि उसे वाणिज्यिक तौर पर व्यावहारिक नहीं पाया गया तो प्रस्ताव को खारिज किया जा सकता है।’ एनसीएलटी ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियुक्त प्रशासक के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि कपिल वधावन के कई सुलह प्रस्तावों पर सीओसी द्वारा विचार किया जा चुका है लेकिन इस दावे के समर्थन में कोई रिकॉर्ड अथवा सबूत पेश नहीं किया गया था।
ट्रिब्यूनल ने कहा, ‘हालांकि पत्रों, सुलह प्रस्तावों पर प्रशासक, सीओसी द्वारा विचार किए गए लेकिन रिकॉर्ड से पता चलता है कि डीएचएफएल की कानूनी टीम एजेडबी ने उन्हें लिखित जवाब दिया है और प्रशासक अथवा सीओसी के सदस्यों की मंजूरी अथवा संज्ञान के बिना उसे जवाब दिया गया। इसलिए उसे प्रशासक, सीओसी, उपयुक्त अधिकारी के जवाब के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।’ एनसीएलटी ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि सुलह प्रस्ताव (पूर्व प्रवर्तक द्वारा) शीर्ष बोलीदाता की ओर से पेश योजना के मुकाबले काफी बड़ा है और इसलिए उस पर प्रशासक/सीओसी द्वारा उचित विचार/पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि इस सुलह प्रस्ताव के साथ हजारों छोटे निवेशकों, सावधि जमा खाताधारकों को पूरी तरह से भुगतान किया जाएगा। इस प्रकार हजारों छोटे निवेशकों को अपना 100 फीसदी बकाया मूलधन हासिल हो सकेगा।
 

First Published : May 21, 2021 | 11:04 PM IST