जियो फाइनैंशियल सर्विसेज अपने शुरुआती बॉन्ड इश्यू के लिए मर्चेंट बैंकरों से बातचीत कर रही है। बाजार के सूत्रों ने यह जानकारी दी। मुकेश अंबानी की वित्तीय सेवा कंपनी 5 वर्षीय बॉन्ड के जरिये 5,000 करोड़ रुपये से लेकर 10,000 करोड़ रुपये तक जुटाने पर विचार कर रही है और यह इश्यू जनवरी-मार्च की अवधि में आ सकता है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रॉकफोर्ट फिनकैप के संस्थापक व प्रबंध साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, चूंकि यह एनबीएफसी है और बाजार में पहली बार उतर रही है, ऐसे में वह न तो ज्यादा लंबी अवधि और न ही ज्यादा छोटी अवधि का बॉन्ड उतार सकती है। बाजार को मौजूदा वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में 5 साल के बॉन्ड आने की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक, एनबीएफसी अभी क्रेडिट रेटिंग की प्रक्रिया और जरूरी मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया में है। एम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक और प्रमुख (इंस्टिट्यूशनल फिक्स्ड इनकम) अजय मंगलूनिया ने कहा, उसके पूंजीकरण और बड़ी औद्योगिक मौजूदगी को देखते हुए पूरी संभावना है कि उसे एएए रेटिंग मिलेगी। लेकिन अभी तक रेटिंग की घोषणा नहीं हुई है।
जियो फाइनैंशियल सर्विसेज ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अपना शुद्ध लाभ दोगुना कर 668.18 करोड़ रुपये पर पहुंचा दिया, जो पहली तिमाही में 331.92 करोड़ रुपये था। राजस्व में खासी बढ़ोतरी के दम पर ऐसा संभव हो पाया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज से अलग हुई उसकी वित्तीय सेवा इकाई का इरादा वित्तीय क्षेत्र में पूर्ण सेवा देने वाली कंपनी बनने का है, जिसका परिचालन खुदरा उधारी, परिसंपत्ति प्रबंधन, बीमा ब्रोकिंग और डिजिटल भुगतान में हो।
कंपनी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कारोबार के लिए ब्लैकरॉक संग 50-50 फीसदी हिस्सेदारी वाले संयुक्त उद्यम की घोषणा की है। इसके मुताबिक, दोनों इकाइयां शुरुआत में 15-15 करोड़ डॉलर निवेश करेंगी। हाल में कंपनी को ईशा अंबानी, अंशुमन ठाकुर और हितेश सेठिया को निदेशक नियुक्त करने की मंजूरी भारतीय रिजर्व बैंक से मिली है।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि बॉन्ड की ब्याज दरें इस महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से जारी बॉन्ड से 12-15 आधार अंक ज्यादा हो सकती है। मंगलूनिया ने कहा, रिलायंस विनिर्माण कंपनी है और यह एनपीएफसी है। एएए रेटिंग वाली अन्य एनबीएफसी करीब 8 फीसदी पर ऐसा कर रही हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 9 नवंबर को 10 वर्षीय बॉन्ड के जरिये 7.79 फीसदी ब्याज दर पर 20,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। यह किसी गैर-वित्तीय भारतीय फर्म का सबसे बड़ा बॉन्ड इश्यू था। इसे खरीदने वालों में ज्यादातर बड़ी बीमा कंपनियां व पेंशन फंड थे।
इससे पहले एचडीएफसी ने एचडीएफसी बैंक संग विलय से पहले फरवरी में 10 वर्षीय बॉन्ड के जरिये 7.97 फीसदी ब्याज दर पर 25,000 करोड़ रुपये जुटाए थे और यह किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा बॉन्ड इश्यू था।