वित्तीय संकट झेल रही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया को लाभप्रद बने रहने के लिए ऋण एवं ब्याज भुगतान पर पूरी तरह मोहलत दिए जाने की आवश्यकता होगी। महज समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) और स्पेक्ट्रम शुल्क के बकाये में मोहलत उसके वित्तीय पुनर्गठन के लिए पर्याप्त नहीं होगी। कंपनी के लिए उसके कॉरपोरेट स्पेक्ट्रम और एजीआर बकाये पर ब्याज का भुगतान सबसे बड़ा लागत संबंधी बोझ दिख रहा है।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में ब्याज भुगतान मद में करीब 5,200 करोड़ रुपये खर्च किए जो उसकी शुद्ध बिक्री के करीब 57 फीसदी के बराबर है। वित्त वर्ष 2021 में वोडाफोन आइडिया ने ब्याज भुगतान मद में करीब 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे जो पिछले वित्त वर्ष में उसकी शुद्ध बिक्री का करीब 43 फीसदी के बराबर था।
दूरसंचार उद्योग को वित्तीय राहत प्रदान करने के लिए पिछले सप्ताह केंद्र सरकार द्वारा घोषित दूरसंचार पैकेज के अनुसार, वोडाफोन आइडिया सहित दूरसंचार ऑपरेटरों को अगले चार साल तक स्पेक्ट्रम शुल्क अथवा एजीआर बकाये का भुगतान नहीं करना होगा। हालांकि इस मोहलत का फायदा उठाने वाले ऑपरेटरों को एमसीएलआर से 2 फीसदी अधिक वार्षिक ब्याज का भुगतान करना होगा। सरकार ने उन्हें भुगतान को खुद स्थगित करने के कारण ब्याज की रकम का भुगतान इक्विटी के जरिये करने का भी विकल्प दिया है।
ऐसे में सरकार द्वारा दी गई मोहलत से वास्तव में वोडाफोन आइडिया का ब्याज बोझ घटने के बजाय बढ़ जाएगा। इससे कंपनी का परिचालन घाटा बरकरार रहेगा और परिचालन के लिए उसके पास नकदी की किल्लत बरकरार रह सकती है। लेखांकन नियम का भी अर्थ साफ है कि स्पेक्ट्रम एवं एजीआर बकाये के भुगतान में मोहलत दिए जाने से वोडाफोन आइडिया की देनदारी में बढ़ोतरी होगी और चार साल के बाद कंपनी का ऋण बोझ कहीं अधिक हो सकता है।
आश्चर्य की बात नहीं है कि बाजार विश्लेषकों ने वोडाफोन आइडिया को दूरसंचार पैकेज से होने वाले वित्तीय फायदे को लेकर चिंता जताई है। बीएनपी पारिबा सिक्योरिटीज इंडिया के कुणाला वोरा ने वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति पर दूरसंचार पैकेज के प्रभाव के बारे में लिखा है, ‘हमें नहीं लगता है कि ये उपाय वोडाफोन आइडिया की समस्याओं को दूर करने के लिए पर्याप्त होंगे। हमाना मानना है कि इसके लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिससे कंपनी की देनदारियों के मौजूदा शुद्ध मूल्य में कमी आए। ऐसा ब्याज दरों में नरमी, स्पेक्ट्रम वापसी, अधिक शुल्क दरों के साथ उच्च नकदी प्रवाह, कम लाइसेंस शुल्क अथवा कम स्पेक्ट्रम उपयोगिता शुल्क और मोहलत एवं वित्त पोषण के जरिये नकदी प्रवाह की समस्या को दूर करते हुए किया जा सकता है।’
वोरा का कहना है कि वोडाफोन आइडिया को बढ़ते ऋण बोझ और घटती बाजार हिस्सेदारी जैसी दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी के लिए यही रुझान फिलहाल बरकरार रहने के आसार हैं। उनका मानना है कि जब तक कंपनी इक्विटी को बढ़ाने का प्रबंधन नहीं करेगी, तब तक उसके ऋण बोझ में मौजूदा स्तर से केवल वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, ‘लगातार बढ़ रहे भारी ऋण बोझ के मद्देनजर हमारा मानना है कि कंपनी को ताजा ऋण जुटाने में परेशानी होगी।’
वोडाफोन आइडिया की वित्तीय सेहत पर ब्याज का बोझ भारती एयरटेल के मुकाबले करीब तीन गुना अधिक और रिलायंस जियो के मुकाबले करीब 7 गुना अधिक है। दूसरे शब्दों में, वित्त वर्ष 2021 के दौरान वोडाफोन आइडिया ने अपने ग्राहकों से हुई प्रत्येक 100 रुपये की आय में से 43 रुपये ब्याज भुगतान मद में खर्च किया जबकि भारतीय एयरटेल ने महज 15 रुपये और रिलायंस जियो ने 5.6 रुपये ब्याज मद में खर्च किया।
