अपनी चैट की गोपनीयता सुरक्षित रखने में एंड टु एंड एन्क्रिप्शन की भूमिका के बारे में 250 व्यक्तियों में से केवल एक व्यक्ति ही ठीक से समझता है तथा औसत रूप में अपनी बातचीत की गोपनीयता सुनिश्चित रखने के लिए कुछ भुगतान करने को तैयार है। कंज्यूमर यूनिटी ऐंड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स इंटरनेशनल) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
‘भारत में एन्क्रिप्शन पर उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण को समझना’ नामक इस अध्ययन में 18 से 65 आयु वर्ग में कुल 2,113 उत्तरदाताओं तथा पुरुषों और महिलाओं की तकरीबन एक समान संख्या के साथ सर्वेक्षण किया गया था। ये सभी उत्तरदाता व्हाट्सऐप के उपयोगकर्ता थे, 20 प्रतिशत ने टेलीग्राम, आठ प्रतिशत ने आईमैसेज, दो प्रतिशत ने सिग्नल, एक प्रतिशत ने वाइबर और दो प्रतिशत ने लाइन का इस्तेमाल किया था।
एन्क्रिप्शन आंकड़ों को गड़मड़ करने का वह चलन है, जिसमें सेवा प्रदाताओं के लिए भी इसे अबोधगम्य बना दिया जाता है। यह बातचीत को गोपनीय तो रखता है, लेकिन झूठी खबरों और आपराधिक गतिविधियों के प्रसार के लिए भी इसका समान रूप से दुरुपयोग किया गया है।