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इस साल स्पेक्ट्रम की बिक्री 2016 की नीलामी की तरह हो सकती है : विशेषज्ञ

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:56 AM IST

सरकार रेडियो तरंगों (एयरवेव्स) की नीलामी के लिए कमर कस रही है। इस निविदा में 2016 में हुई पिछले दौर की नीलामी से कुछ समानताएं हैं। 2016 की तरह विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार इस निविदा से भी लक्षित रकम को हासिल करने से पीछे रह जाएगी। ऐसा इसलिए है कि इस क्षेत्र में निविदा में भाग लेने के लिए पर्याप्त संख्या में प्रतिभागी नहीं हैं और जो हैं उनमें अब उतनी अधिक रुचि नहीं है।
एक विश्लेषक ने कहा, ‘इसमें भागीदारी के लिए केवल तीन कंपनियां हैं और वोडाफोन आइडिया उस स्थिति में नहीं है कि वह नीलामी में आक्रामक तरीके से भागीदारी कर सके जबकि भारती एयरटेल नीलामी के बिना ही सुविधाजनक स्थिति में है। केवल रिलायंस जियो को रेडियो तरंगों की की आवश्यकता है और वह भी भागीदारी के लिए इच्छुक होगी।’      
उन्होंने कहा कि आगामी नीलामियों में 5जी स्पेक्ट्रम नहीं होने से यह क्षेत्र के लिए लाभदायक साबित नहीं होगा या देश के तौर पर भारत 5जी बस से चूक जाएगा।
16 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4जी नीलामी आयोजित करने की मंजूरी दी थी जिससे सरकारी खजाने में 3.92 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। बदले में 2,251 मेगाहट्र्ज रेडियो तरंगों की पेशकश की जाएगी।   
नीलामी मार्च 2021 में आयोजित की जाएंगी। इससे पहले अंतिम बार अक्टूबर 2016 स्पेक्ट्रम की नीलामी की गई थी। पिछली बोली में सरकार ने 65,789 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
इसमें 700 मेगाहट्र्ज, 800 मेगाहट्र्ज, 900 मेगाहट्र्ज, 1,800 मेगाहट्र्ज, 2,100 मेगाहट्र्ज, 2,300 मेगाहट्र्ज और 2,500 मेगाहट्र्ज बैंडों की पेशकश की जाएगी।
फिलहाल, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के पास पूरे देश में 4जी स्पेक्ट्रम है और ज्यादातर सर्कलों में स्पेक्ट्रम की पर्याप्त उपलब्धता भी है। 2016 में एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सभी सर्कलों में अपना 4जी स्पेक्ट्रम पूरा करने की कोशिश कर रहे थे। उसके बाद वे 1,800 मेगाहट्र्ज और 2,100 मेगाहट्र्ज बैंडों में 4जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा रहे थे क्योंकि इनमें उनके पास 4जी स्पेक्ट्रम नहीं था।
एक स्वतंत्र दूरसंचार विश्लेषक अनिल टंडन ने कहा, ‘2016 में सभी ऑपरेटरों की वित्तीय स्थिति अभी के मुकाबले बहुत अधिक बेहतर थी। नीलामी में हिस्सा लेने वाले ऑपरेटरों की संख्या 2016 में बहुत अधिक थी। साथ ही, अभी मौजूद सभी तीन ऑपरेटरों ने तभी अपने 4जी स्पेक्ट्रम की जरूरत को पूरा कर लिया था।’
पिछले चार वर्षों में वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर तथा एयटेल में एयरसेल का विलय हुआ है।
टंडन ने कहा, ‘2016 की तरह, ऊंची कीमत के कारण 700 मेगाहट्र्ज की नीलामी नहीं हो जाएगी और सभी तीन ऑपरेटरों के पास पहले से 900 मेगाहट्र्ज या 800 मेगाहट्र्ज में कम बैंड का स्पेक्ट्रम उपलब्ध है। इसका इस्तेमाल हो रहा है या इसे 4जी में बदला जा रहा है। इसलिए उन्हें 4जी के लिए 700 मेगाहट्र्ज की आवश्यकता नहीं है।’ विशेषज्ञ मानते हैं कि रिलायंस जियो 800 मेगाहट्र्ज का बैंड लपक सकता है क्योंकि उसका लाइसेंस समाप्त होने वाला है और कंपनी हरेक सर्कल में 10 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम चाहती है। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया दोनों 900 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीद सकते हैं और 1,800 मेगाहट्र्ज में कुछ अतिरिक्त रेडियो तरंग खरीद सकते हैं। उद्योग 4जी की नीलामी की मांग करता रहा है क्योंकि बैंडों में कुछ लाइसेंस 2021 में समाप्त हो रहे है।
डिजिटल संचार आयोग दूरसंचार विभाग का निर्णय लेने वाली शीर्ष निकाय है। इसने मई में स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दी थी जिसे मंत्रिमंडल से मंजूर किया जाना था। एमएसटीसी को स्पेक्ट्रम नीलामी कराने के लिए चयनित किया गया है। 

First Published : January 12, 2021 | 11:24 PM IST