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आयात शुल्क वृद्धि से पीएलआई का लाभ बेअसर

Last Updated- December 11, 2022 | 9:46 PM IST

मोबाइल उपकरण के प्रमुख पुर्जों के आयात पर शुल्क में बार-बार हो रही वृद्धि मोबाइल फोन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लाभ को बेअसर कर सकती है। पीएलआई सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है और इसकी सफलता साल 2025-26 तक 250 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण है। मोबाइल उपकरण इस योजना एक बड़ा हिस्सा है। सरकार ने 2025-26 तक मोबाइल फोन विनिर्माण के लिए 110 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा है जो 2020-21 के मुकाबले करीब 3.7 गुना अधिक है।
हालांकि इंडिया सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) द्वारा किए गए शोध और बजट से पहले सरकार को प्रस्तुत किए गए रिपोर्ट से पता चलता है कि आयात शुल्क में बढ़ोतरी के कारण साल 2020-21 के बाद मोबाइल फोन की औसत एक्स-फैक्टरी लागत में 5.72 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही यह पीएलआई योजना के तहत पात्र कंपनियों को उत्पादन मूल्य पर दिए गए 4 से 6 फीसदी प्रोत्साहन को बेअसर कर दिया है। मुख्य तौर पर भारतीय विनिर्माताओं की उत्पादन लागत घटाने के लिए पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन दिया गया था। उदाहरण के लिए, अधितर पुर्जों के आयात के कारण भारतीय विनिर्माताओं की लागत वियतनाम और चीन जैसे देशों के मुकाबले 10 से 12 फीसदी अधिक हो जाती है।
आईसीईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में प्रिंटेड सर्किट बोर्ड एसेंबली (पीसीबीए), डिस्प्ले असेंबली, कैमरा मॉड्यूल्स आदि प्रमुख पुर्जों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई थी जिनकी बिल ऑफ मैटेरियल (बीओएम) में 45 फीसदी हिस्सेदारी होती है। साल 2021 में एक बार फिर करीब 12 पुर्जों पर शुल्क में बढ़ोतरी की गई जिनमें पीसीबीए, कैमरा मॉड्यूल्स, कनेक्टर, इनपुट्स और रिंगर एवं वाइब्रेटर संबंधी पुर्जे, डिस्प्ले असेंबली, मोबाइल चार्जर आदि शामिल थे।
आयात शुल्क में बढ़ोतरी के अपने परिणाम हैं। पहला, मोबाइल फोन की मौजूदा लागत 15-20 फीसदी से बढ़कर 40-45 फीसदी हो गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सब-असेंबली एवं पुर्जों के घरेलू उत्पादक अपनी अतिरिक्त लागत को देखते हुए कीमत बढ़ा देंगे। यदि लागत के मोर्चे पर कोई खास फायदा नहीं हुआ तो मोबाइल उपकरणों के विनिर्माता पुर्जों का आयात करना पसंद करेंगे।
कुल मिलाकर शुल्क वृद्धि का प्रभाव लंबे समय तक महसूस किया जाएगा। यह ऐसा परिवेश तैयार करेगा जहां घरेलू बाजार की मामूली हिस्सेदारी होगी। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू बाजार पर केंद्रित आयात शुल्क निर्यात के जरिये वैश्विक बाजारों तक प्रतिस्पर्धी पहुंच के दायरे को सीमित नहीं कर सकता है। इनपुट-आउटपुट लिंकेज के मॉडलिंग से पता चलता है कि 2020-2021 में की गई शुल्क में वृद्धि से मोबाइल फोन के आउटपुट और निवेश में करीब 8 फीसदी की कमी आ सकती है। जबकि इससे रोजगार में करीब 9 फीसदी और निर्यात में 31 फीसदी तक की कमी दिख सकती है। इसके अलावा मोबाइल फोन की घरेलू बाजर की कीमतों में इससे 18 फीसदी तक बढ़ोतरी होने की आशंका है।

First Published - January 21, 2022 | 11:27 PM IST

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