भारती ग्रुप की वनवेब ने सोमवार को इसरो की वाणिज्यिक शाखा – न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के साथ एक समझौते की घोषणा की। इसके तहत यह वैश्विक कंपनी द्वारा विकसित किया जा रहा निचली कक्षा का ऐसा पहला उपग्रह होगा, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रक्षेपण स्थल का इस्तेमाल करेगा। अब तक वन वेब अपने प्रक्षेपण के लिए रूस और कजाकिस्तान के अंतरिक्ष केंद्रों का इस्तेमाल कर रही थी। समझौते के अनुसार उपग्रह को वर्ष 2022 में भारत से प्रक्षेपित किया जाएगा।
वनवेब में भारती गु्रप द्वारा निवेश किए जाने का फैसला जुलाई 2020 में किया गया था, जब इसने ब्रिटेन की सरकार के साथ एक अरब डॉलर की साझेदारी की थी। आंतरिक क्षेत्र में संपर्क के मामले में यह महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस वैश्विक महामारी के दौर में नई अत्याधुनिक तकनीक और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है, क्योंकि यह इंटरनेट की तेज रफ्तार प्रदान करती है और कम समय लेती है, जो दुनिया भर के ग्रामीण क्षेत्रों को इंटरनेट से जोडऩे के लिए गुणवत्ता सेवा का एक आदर्श संयोजन होता है।
बयान में कहा गया है कि भारत में निर्मित – पीएसएलवी (धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) तथा अधिक भारी जीएसएलवी-एमके-3 (भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान) का इस्तेमाल वर्ष 2022 से देश में वनवेब के उपग्रहों का प्रक्षेपण करने के लिए संभावित प्लेटफॉर्म के रूप में उपयोग करने की खातिर एनएसआईएल के साथ एक आशय पत्र (एलओआई) के जरिये व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) की शुरुआत के मौके पर इस गैर-बाध्यकारी आशय पत्र का अनावरण किया गया। वनवेब आईएसपीए के संस्थापक सदस्यों में से है, जो भारत में अंतरिक्ष और उपग्रह कंपनियों की सामूहिक आवाज बनने का प्रयास है और भारत के अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए हितधारकों के साथ काम करेगा।
कंपनी 648 एलईओ उपग्रहों का अपना प्रारंभिक समूह तैयार कर रही है और पहले ही 322 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर चुकी है। यह इस साल अलास्का, कनाडा और ब्रिटेन सहित आर्कटिक क्षेत्र में और वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की योजना बना रही है।
बयान में कहा गया है ‘वर्ष 2022 के अंत तक वनवेब भारत और शेष विश्व में तीव्र रफ्तार और कम विलंब वाली अपनी संपर्क सेवाओं को पेश करेगी। कक्षा में उपग्रहों पर सेवा परीक्षण पहले से ही चल रहा है। वनवेब और एनएसआईएल अपने संबंधित निदेशक मंडलों सें जरूरी मंजूरी हासिल करने के बाद इस एलओआई को शीघ्रता से एक बाध्यकारी समझौते में तब्दील कर देंगी।’ वनवेब के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा है कि इसरो ने दमदार प्रक्षेपण क्षमताओं का निर्माण किया है और भारत सफल प्रक्षेपणों का इतिहास रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह का हिस्सा है।
