उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पात्रता पूरी करने वाले मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं ने सरकार से इस नीति के तहत वित्त वर्ष 2020-21 को शून्य वर्ष घोषित करने के लिए ‘फोर्स मेजर’ प्रावधान लागू करने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि कोविड-19 और भारत-चीन तनाव की वजह से अड़चनें आईं, इसीलिए प्रावधान में बदलाव करना चाहिए।
पीएलआई पर अधिकार प्राप्त समिति को हाल में भेजे पत्र में मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं के संगठन इंडियन सेल्युलर
ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने कहा है कि एक कंपनी (सैमसंग) के अलावा इस योजना के तहत चुनी गई अन्य 8 कंपनियों (इनमें ऐपल के आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं) को पात्रता मानदंड पूरे करने में कई तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं। योजना के अंतर्गत पीएलआई प्रभावी होने के पहले साल प्रत्येक कंपनी की वृद्घिशील बिक्री 4,000 करोड़ रुपये और निवेश 250 करोड़ रुपये होना चाहिए। बिक्री के लिए प्रत्येक फोन 15,000 रुपये या उससे अधिक मूल्य का होना चाहिए।
आईसीईए ने यह पत्र नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, व्यय सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव तथा राजस्व एवं आर्थिक मामलों के सचिव और विदेशी व्यापार महानिदेशालय को लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि कोविड के अलावा चीन से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर बंदिशें लगाए जाने से भी कंपनियों पर असर पड़ा है क्योंकि मूल्यवद्र्घन के लिए वे चीन की कलपुर्जा विनिर्माता कंपनियों पर निर्भर हैं। साथ ही उड़ानों पर बंदिश से चीन के तकनीकी जानकार भारत नहीं आ पा रहे हैं और चिप की कमी से भी उत्पादन पर असर पड़ा है।
आईसीईए ने कहा कि सरकार ने पिछले साल 13 मई को वित्त मंत्रालय के आदेश के जरिये कोविड-19 को ‘फोर्स मेजर’ परिस्थिति करार दिया था। आईसीईए ने योजना को एक साल के लिए बढ़ाने का विकल्प सुझाया है। उनके अनुसार 2020-21 को तैयारी का साल माना जाना चाहिए और इस साल के लिए सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन (प्रोत्साहन राशि 5,334 करोड़ रुपये तय की गई थी) नहीं दिया जाना चाहिए। प्रोत्साहन 2021-22 से 2025-26 तक मिलना चाहिए। हालांकि वित्त वर्ष 2020-21 में किए गए अतिरिक्त निवेश को निवेश लक्ष्य में शामिल किया जाना चाहिए। विस्ट्रॉन और होन हाई जैसी कंपनियां पहले साल का अपना निवेश लक्ष्य पूरा कर चुकी हैं। एक मोबाइन विनिर्माता कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बातचीत चल रही है मगर अंतिम फैसला अभी आना है।’ हालांकि नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत ने पीएलआई पर एक संगोष्ठी में कहा था कि इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर है कि क्रियान्वयन कितनी तेजी से होता है और लक्ष्य किस तरह पूरे होते हैं। इसमें बदलाव नहीं होना चाहिए।
इस योजना की एकमात्र लाभार्थी सैमसंग हो सकती है। आईसीईए ने यह भी कहा है कि वे कंपनियां ही 2020-21 में निवेश और उत्पादन लक्ष्य पूरे कर सकी हैं, जो लंबे समय से भारत में मौजूद हैं और योजना के तहत उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।सैमसंग ने कुछ साल पहले ही देश में बड़ी क्षमता का विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया था और प्रोत्साहन हासिल करने के लिए पर्याप्त फोन का उत्पादन कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार कंपनी ने देश में 50,000 करोड़ रुपये मूल्य से ज्यादा के मोबाइल फोनों का उत्पादन किया है, जिनमें 15,000 से रुपये से ज्यादा कीमत वाले फोनों की भी कुछ प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इससे पहले वे 15,000 रुपये से कम मूल्य के फोनों का उत्पादन करती थीं, जो इस प्रोत्साहन योजना के दायरे में नहीं आते हैं।सैमसंग के अलावा पीएलआई योजना के तहत जिन कंपनियों को मंजूरी मिली है, उनमें ऐपल के लिए फोन बनाने वाली होन हाई प्रिसीजन (फॉक्सकॉन), विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन हैं। राइजिंग स्टार (फॉक्सकॉन की इकाई) को भी मंजूरी दी गई है। भारतीय कंपनियों में लावा, डिक्सन, ऑप्टिमस और भगवती (माइक्रोमैक्स) शामिल हैं।