मेटा (फेसबुक) ने भारत में अपने मंचों पर प्रकाशित तथ्यों की जांच (फैक्ट चेकिंग) करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की। सोशल मीडिया कंपनी फेबसुक एवं इससे संबद्ध ऐप्लिकेशन का नाम हाल में ही बदलकर मेटा रखा गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड को ई-मेल के माध्यम से दिए साक्षात्कार में मेटा में उपाध्यक्ष (सामग्री नीति) मोनिका बिकर्ट ने कहा, ‘भारत में हमने तथ्यों की जांच करने के लिए 10 इकाइयों की सेवाएं लेने का निर्णय लिया है। ये इकाइयां असमिया सहित 11 भारतीय भाषाओं में तथ्यों की जांच कर सकती हैं।’
मेटा इस समय एक विवाद में घिर गई है। इसके एक पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) के समक्ष मेटा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। वहां से आ रही खबरों के अनुसार हॉगेन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फेसबुक (मेटा) अपने मंचों से घृणा एवं भ्रम फैलाने वाली सामग्री प्रकाशित होने से रोकने के लिए गंभीर प्रयास नहीं करती है।
बिकर्ट ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बड़े संगठनों की जांच अवश्य होनी चाहिए। सकारात्मक आलोचना से हमें स्वयं में सुधार करने में मदद मिलती है। मगर हाल में एक सोची समझी चाल के तहत हमारी कंपनी की छवि खराब करने के लिए कुछ खास दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मेटा पर जो आरोप लगाए गए हैं उनमें दम नहीं है। हम पर यह भी आरोप लगाए गए हैं कि हम शोध करने के बाद भी तथ्यों को एक सोची समझी रणनीति के तहत नजरअंदाज कर देते हैं। किसी भी अन्य कारोबारी इकाई की तरह हम भी मुनाफा कमाते हैं मगर यह कहना सरासर गलत है कि लोगों की सुरक्षा एवं उनके हितों को ध्यान में रखकर हम ऐसा करते हैं।’
एसईसी को सौंपी शिकायत में एक आरोप यह भी लगाया गया है कि फेसबुक ने वित्त वर्ष 2020 में अमेरिका के बाहर भारत सहित दूसरे देशों में भ्रामक सूचनाओं का प्रसार एवं समाज में आपसी विद्वेष फैलाने वाली सामग्री रोकने के लिए अपने कुल बजट का मात्र 13 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया। शिकायतकर्ता ने आरोप के पक्ष में फेसबुक के आंतरित दस्तावेज का हवाला दिया है। बिकर्ट ने कहा कि अमेरिका की तरह ही भारत में मेटा ने तथ्यों की जांच करने वाले कई साझेदारों से समझौते किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे 10 फैक्ट चेकर 11 भाषाओं में तथ्यों की जांच कर सकते हैं।
कंपनी ने विवाद पैदा करने की आशंका वाली सामग्री की जांच के लिए भी लोग नियुक्त किए हैं। ये लोग कंपनी के लिए 20 भारतीय भाषाओं में ऐसी सामग्री की जांच करेंगे। मेटा इंडिया के अधिकारी दिल्ली विधानसभा के समक्ष भी पेश होने वाले हैं।
