दूरसंचार विभाग इस क्षेत्र में बौद्घिक संपदा अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक खाका तैयार कर रहा है। इसमें ‘सॉवरिन पेटेंट कोष’ और ‘भारत टेक्नोलॉजी बैंक’ गठित करने के साथ ही पेटेंट हासिल करने में लगने वाला समय कम करने के लिए जरूरी बदलाव करना शामिल हो सकता है।
दूरसंचार विभाग ‘डिजिकॉम बौद्घिक संपदा प्रबंधन बोर्ड’ गठित करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा कर रहा है। भारत में किसी पेटेंट को मानक आवश्यक पेटेंट (एसईपी) घोषित करने पर अगर कोई आपत्ति होती है तो इसके पास मध्यस्थता करने का अधिकार होगा। अगर पेटेंट धारक और संभावित लाइसेंसधारक के बीच कीमत निष्पक्ष या भेदभावपूर्ण होने पर विवाद दिखता है तो ऐसे मामले में आखिरी निर्णय का अधिकार भी डिजिकॉम बौद्घिक संपदा प्रबंधन बोर्ड के पास होगा। एसईपी संरक्षित और उद्योग की मुख्य तकनीक का पेटेंट होता है।
हालांकि विदेशी कंपनियों का कहना है कि ऐसे पेटेंट विवाद का निपटारा अदालत में होना चाहिए न कि किसी अधिकारी द्वारा। दुनिया भर में यही चलन है। मगर ऐसा नहीं होने से विवाद निपटान में एक और समस्या खड़ी हो सकती हे। उनका कहना है कि विदेशी पेटेंट धारकों से अन्य हितधारकों की तरह ही बात करनी चाहिए। मगर प्रस्तावित बोर्ड में उनका समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है और बोर्ड में भारतीय शिक्षाविद तथा सरकार के अधिकारी ही शामिल हैं।
जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों से पेटेंट उधार लेने के मामले देखते हुए बात चल रही है कि एसपीएफ की स्थापना के माध्यम से विदेशी बाजार में बेहतर मूल्य निर्माण विकसित करने की खातिर भारतीय कंपनियों को एकसाथ लाना होगा। भारत राष्ट्रीय स्तर पर या क्षेत्र आधारित एसपीएफ गठित कर सकता है, जिसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार विभाग एकसाथ आकर आईसीटी उद्योग गठित करेंगे। पेटेंट पूल करने के अलावा एसपीएफ एसएमई और स्टार्टअप के लिए आईपीआर जीवन चक्र प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होगा। यह देश के लिए अहम प्रौद्योगिकियों जैसे 5जी और 6जी के लिए बौद्घिक संपदा लाइसेंस खरीदने में भी अहम भूमिका अदा करेगा और राष्ट्रीय स्तर पर लाइसेंस शुल्क पर मोलभाव करेगा। साथ ही यह भारतीय उद्योग को आकर्षक दाम पर लाइसेंस उपलब्ध कराएगा। यह सुझाव दिया गया है कि प्रस्तावित एसपीएफ विशेष उद्देश्यीय इकाई के जरिये अपने रोजमर्रा के कामों के लिए विशेषज्ञ एजेंसियों से गठजोड़ करेगा, जिसके बोर्ड पर सरकार की नजर होगी। भारतीय उद्योग को राष्ट्रीय स्तर पर लाइसेंस देने के लिए पेटेंट मालिक से बौद्घिक संपदा अधिकारों का लाइसेंस खरीदने के वास्ते शुरुआती कोष भी दिया जाएगा। इसके साथ ही केंद्रीय एजेंसी के अंतर्गत ‘भारत टेक्नोलॉजी बैंक’ गठित करने पर भी चर्चा की जा रही है, जो देश भर में फैले सरकार के आरऐंडडी संस्थानों में उपलब्ध तकनीकों को एकजुट करेगा। यह तकनीक जरूरतमंद देशों को किफायती शुल्क पर लाइसेंस के तहत दी जा सकती है। इससे भारतीय कंपनियों को नए बाजारों में पहुंच बनाने में भी मदद मिलेगी।
दूरसंचार क्षेत्र गंभीर समस्या से जूझ रहा है। उदाहरण के तौर पर भारत में दूरसंचार क्षेत्र के लिए सार्वजनिक रूप से पेटेंट डेटाबेस उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यह एसएमई या स्टार्टअप के लिए काफी महंगा हो जाता है और वे दूसरे के बौद्घिक संपदा अधिकारियों का उल्लंघन करते हैं।