सूचना प्रौद्योगिकी पर भारत सरकार का खर्च 2022 में 8.3 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है जो 2021 के मुकाबले 8.6 फीसदी अधिक है। अनुसंधान फर्म गार्टनर के एक ताजा अनुमान में यह खुलासा किया गया है।
गार्टनर की वरिष्ठ प्रधान अनुसंधान विश्लेषक अपेक्षा कौशिक ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के कारण 2020 में भारत के सरकारी संगठनों की डिजिटलीकरण पहल में उल्लेखनीय तेजी आई। वैश्विक महामारी ने सरकार को आपूर्ति शृंखला और राजस्व धाराओं के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव करने के लिए मजबूर किया।’ अनुसंधान फर्म ने कहा है कि स्थानीय और राष्टï्रीय दोनों मोर्चे पर भारत के सरकारी संगठनों द्वारा 2022 में दूरसंचार सेवाओं को छोड़कर सभी आईटी श्रेणियों में अधिक खर्च किए जाएंगे।
सॉफ्टवेयर श्रेणी में 2022 के दौरान सबसे अधिक 24.7 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के उपयोग से नागरिक सेवा डिलिवरी ऐप्लिकेशन को अपनाने से विभिन्न नागरिक पहलों में सुधार होगा। भारत 5जी सेवाओं के लिए खुद को तैयार कर रहा है और ऐसे में दूरसंचार बाजार को नवाचार, नागरिक सेवाओं की गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण पर प्रभाव डालने के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता होगी। इसलिए 2022 में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले दूरसंचार सेवाओं में निवेश पर कम ध्यान दिया जाएगा। व्यक्तिगत डिजिटल समाधान समग्र डिजिटल परिपक्वता से संबंधित नहीं होता है। परिणामस्वरूप भारत के सरकारी संगठनों की कुल मिलाकार डिजिटल परिपक्वता पश्चिमी देशों के मुकाबले कम है। पारंपरिक विरासत वाली प्रणालियों को डिजिटल प्रौद्योगिकी से लैस करना 2022 में आईटी खर्च में संभावित वृद्धि की मुख्य वजह होगी।
कौशिक ने कहा, ‘देश भर में टीकाकरण की दरें बढ़ रही हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। ऐसे में सरकार नागरिकों के अनुभव एवं डिजिटल समावेशन जैसी चिंताओं के लिए अपने डिजिटलीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।’ डिजिटल लाइसेंसिंग, ऑनलाइन न्यायिक कार्यवाही, डिजिटल कराधान जैसी पहल 2020 में वैश्विक महामारी के दौरान शुरू की गई थी। गार्टनर के शोध में पाया गया है कि उन पहलों को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाने के लिए अभी लंबा सफर तय करना बाकी है क्योंकि पूरे देश में डिजिटल समावेशन अभी अधूरा है।