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चुटकियों में कैसे हजारों भर्तियां कर लेती हैं टीसीएस व इन्फोसिस?

Last Updated- December 11, 2022 | 7:33 PM IST

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने कहा है कि उसने वित्त वर्ष 2022 के लिए एक लाख से अधिक फ्रेशर्स की भर्ती की है। इसका मतलब है कि हर महीने 8,300 से अधिक प्रशिक्षु जोड़े गए। एक महीने में इतना बड़ा आंकड़ा जोडऩा आसान नहीं है क्योंकि प्रत्येक प्रशिक्षु लिखित परीक्षा में उपस्थित होता है। उस परीक्षा का मूल्यांकन किया जाता है, जिसके आधार पर उम्मीदवार अगले चरण में पहुंचता है और आखिर में नियुक्ति के बाद कंपनी के साथ जुड़ता है। मगर टीसीएस ही नहीं बल्कि एक अन्य आईटी दिग्गज इन्फोसिस भी इसी राह पर आगे बढ़ रही है।
वित्त वर्ष 2022 के अपने नतीजों के बाद हाल में मीडिया के साथ बातचीत में टीसीएस और इन्फोसिस दोनों ने जोर दककर बताया था कि कैसे उनके ऑनलाइन भर्ती प्लेटफॉर्म मांग में बढ़ोतरी के हिसाब से तत्काल हजारों छात्रों की भर्ती में मदद कर रहे हैं।
यह अहम बात है क्योंकि नौकरी छोडऩे की दर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है और इस क्षेत्र की लगभग हर कंपनी भर्ती के लिए शिक्षण संस्थान पहुंच रही है। इसके बावजूद छात्रों के जुडऩे की दर 30 से 60 फीसदी के दायरे में है, जिससे आईटी कंपनियों को अपनी कैंपस भर्तियों का दायरा बढ़ाना पड़ रहा है।
टीसीएस का ही उदाहरण लें। इसने वित्त वर्ष 2019 में अपनी भर्ती प्रणाली बदलनी शुरू कर दी और टीसीएस नैशनल क्वालिफायर टेस्ट (एनक्यूटी) शुरू किया था। ऑनलाइन मूल्यांकन शुरू करने के पीछे मकसद ऐसा माहौल बनाना था, जिससे प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं रहे। टीसीएस के वैश्विक प्रमुख (प्रतिभा भर्ती) गिरीश नंदीमठ ने कहा, ‘एनक्यूटी से हमें अपनी प्रशिक्षु भर्ती प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाने में मदद मिली है क्योंकि इससे हमारा दायरा बढ़ गया है। अब हम देश भर की प्रतिभाओं तक पहुंच सकते हैं, भले ही वे किसी भी कॉलेज में हों। यह अहम इसलिए है क्योंकि इससे हम प्रतिभाओं के भंडार तक पहुंच जाते हैं और हमारी मांग पूरी होती है। दूसरा, प्लेटफॉर्म को मांग के मुताबिक ढाला जा सकता है। हम अपने कारोबार के हिसाब से भर्तियां बढ़ा या घटा सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि एनक्यूटी में जरूरत के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है। ऐसे में वे अपनी जरूरत के मुताबिक परीक्षा या चयन प्रक्रिया में फेरबदल कर सकते हैं और जरूरी कौशल वाले उम्मीदवारों को ही ले सकते हैं। टीसीएस बड़ी तादाद में प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने के लिए अपने आईऑन प्लेटफॉर्म के बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल करती है। टीसीएस पहले 400 से 500 संस्थानों में पहुंचती थी मगर एनक्यूटी के साथ देश में 3,000 से 4,000 कॉलेजों तथा संस्थानों तक इसकी पहुंच है। अब वह एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त कॉलेजों तक सीमित नहीं है बल्कि देश में किसी भी जगह मौजूद प्रतिभा को भर्ती कर सकती है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता इन्फोसिस ने भी इन्फीटीक्यू बनाया है। इससे कंपनी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर गुणवत्तायुक्त प्रतिभाओं की भर्तियां कर सकती है। इन्फीटीक्यू फरवरी 2019 में शुरू किया गया था और आज यह अपने प्लेटफॉर्म पर 10 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता होने का दावा करती है।
इन्फीटीक्यू सभी कॉलेजों के छात्रों को कंप्यूटिंग, प्रोग्रामिंग, डेटाबेस, डेटा स्ट्रक्चर आदि के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में मदद देती है। इसमें एक ऑनलाइन मूल्यांकन भी होता है, जिसमें सफल प्रशिक्षुओं को इन्फोसिस से सत्यापित सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग प्रमाणपत्र भी मिलता है। इस प्रमाणपत्र के साथ इन्फोसिस में एक सिस्टम इंजीनियर के रूप में जुडऩे की पेशकश भी मिलती है।
इन्फोसिस में कार्यकारी उपाध्यक्ष और एचआर प्रमुख रिचर्ड लोबो ने कहा, ‘इन्फीटीक्यू ने लाखों विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षण सामग्री और शिक्षा ही मुहैया नहीं कराई है बल्कि इसने हजारों उम्मीदवारों को सिस्टम इंजीनियर, डिजिटल विशेषज्ञ और पावर प्रोग्रामर के रूप में भर्ती करने में भी मदद दी है।’ हर साल करीब 1.5 लाख छात्र इन्फीटीक्यू प्रमाणन परीक्षा में हिस्सा लेते हैं और कंपनी को हर साल इसके जरिये 3,000 माहिर प्रोग्रामर तथा सॉफ्टवेयर इंजीनियर मिल जाते हैं। दोनों कंपनियों ने इस बात से सहमति जताई कि इन सिस्टम से व्यापक पहुंच मिलने केअलावा लागत पर भी असर पड़ा है।

First Published - April 26, 2022 | 12:50 AM IST

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