दीवार पर लिखी इबारत बदल चुकी है। आखिरकार भारतीय दूरसंचार क्षेत्र रिलायंस जियो-भारती एयरटेल काअवश्यम्भावी निजी द्वयाधिकार नहीं बनने जा रहा है। वोडाफोन-आइडिया को चार साल की राहत मिल गई है और इसके पास लडऩे का मौका है, बशर्ते यह दो प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित रखे : महीने-दर-महीने होने वाली ग्राहकों की हानि को रोकना (पिछले साल की तुलना में वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में यह दो करोड़ ग्राहक गंवा चुकी है) और यह सुनिश्चित करना कि उसका 55 प्रतिशत ग्राहक आधार जो 2जी और 3जी पर है, 4जी पर आ जाए।
अपने ब्याज भुगतान को कंपनी में 36 फीसदी इक्विटी में तब्दील करने के वोडाफोन-आइडिया के फैसले से मदद मिलेगी। बैंक उधार देने या अपने ऋणों का पुनर्गठन करने के लिए अधिक इच्छुक रहेंगे और नए सिरे से तैयारी कराने के लिए रणनीतिक निवेशकों को तैयार किया जाएगा। उद्यम कारोबार और बड़ा डेटा केंद्र चलाने पर विचार करने वाली कंपनियों के लिए अल्पांश हिस्सेदारी करने की खातिर यह अच्छी खरीद हो सकती है। सरकार शुल्कों में और इजाफा करते हुए प्रतिस्पर्धा को कुछ और बढ़ा सकती है। सीएलएसए बताती है, तथ्य यही है कि वोडाफोन-आइडिया द्वारा चार साल के मॉरेटोरियम के बाद अपने वार्षिक स्पेक्ट्रम का भुगतान करने के लिए मिलने वाली यह राहत भी पर्याप्त नहीं है। कंपनी की सही मायने में मैदान में वापसी के लिए इसके एआरपीयू को मौूजदा 109 रुपये से बढ़ाकर 250 रुपये से 300 रुपये तक करना होगा। अगर वोडाफोन-आइडिया गंभीर इरादा दिखा पाए तथा नेटवर्कमें और अधिक निवेश करने के साथ-साथ ग्राहकों के नुकसान को रोक पाए, तो इससे इसके प्रतिस्पर्धियों की रणनीति बदलनी पड़ सकती है। उदाहरण के लिए रिलायंस जियो वोडाफोन-आइडिया के ग्राहकों के नुकसान की मुख्य लाभार्थी थी और अपने ग्राहकों की संख्या मौजूदा 42.7 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ करने का लक्ष्य बनाकर चल रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि रिलायंस जियो के लिए अब 50 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है, विशेष तौर पर इसलिए कि एयरटेल जियो द्वारा धावा बोले जाने के बावजूद अपनी बाजार हिस्सेदारी को स्थिर रखने में सक्षम रही है।
सरकार की पहल ने दूरसंचार कंपनियों को पिछले नवंबर में अपने शुल्क में 20 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए मजबूर कर दिया है, चाहे अपनी इच्छा से या अनिच्छा से। सूत्रों का कहना है कि दूरसंचार कंपनियों ने कुछ महीनों के दौरान दो चरणों में कुल मिलाकर 40 प्रतिशत के इजाफे की प्रतिबद्धता जताई है।