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किसानों को अब मिल सकेगी ‘आसमानी मदद’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:01 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने हाल ही में कृत्रिम उपग्रह टर्मिनल स्थापित किया है।


यह उपग्रह 40 किलोमीटर की परिधि में आने वाले इलाके के किसानों को आधुनिक कृषि और इससे जुड़ी समस्याओं को हल करने में सूचनाओं के जरिये मदद देगी। इस उपग्रह के जरिये जाने-माने वैज्ञानिक वीडियो-कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों की समस्याओं को सुलझाएंगे। इस उपग्रह के चार स्टेशन चंडीगढ़, अमृतसर, पूसा (दिल्ली) और समस्तीपुर (बिहार) में स्थापित किए गए हैं।

सबौर कृषि महाविद्यालय के प्रो. अमर नाथ मिश्रा ने कहा कि इससे किसानों को खेती की नई तकनीक जानने में मदद मिलेगी। वैसे भी भारत के अधिकांश इलाकों में बारिश और बाढ़ की वजह से ज्यादातर फसलें बर्बाद हो जाती है। इस उपग्रह से अगर इन विपदाओं से संबंधित अग्रिम जानकारी किसानों को प्राप्त हो जाती है, तो यह बहुत ही अच्छी बात होगी।

इस उपग्रह के जरिये किसान खेती और उससे जुड़ी समस्याओं का हल तो पाएंगे ही, साथ ही बाढ और वर्षा की सूचना भी उसे 48 घंटे पहले मिल जाएगी। इतना ही नही, इन इलाकों के गरीब लोग वेल्लोर, चेन्नई, जसलोक (मुंबई), अपोलो और एम्स (दिल्ली) और आईजीआईएमएस, पीएमसीएच, डीएमसीएच (बिहार), रिजनल इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस (झारखंड) के ख्याति प्राप्प्त डॉक्टरों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हल भी पाएंगे। ये सारी मेडिकल सुविधाएं मात्र 40 रुपये की अदायगी पर संभव हो पाएगा।

हिमालय की तराई में आने वाले सारे इलाके भूकंप क्षेत्र में आते हैं, इसलिए इस उपग्रह के जरिये लोगों को भूकंप, जमीन के अंदर होने वाली भयानक हलचल से भी वाकिफ कराया जाएगा ताकि बड़ी से बड़ी विपदा को टाला जा सके। इन आपदा की खबर अगर पहले प्राप्प्त हो जाती है, तो जानमाल की बड़ी क्षति को काफी कम किया जा सकता है। ताराहाट के मार्केटिंग कार्यकारी अल्बर्ट ने कहा कि भूकंप, बाढ़, बारिश आदि प्राकृतिक विपदाओं की खबर अगर किसानों को पहले मिल जाए, तो कई वैकल्पिक उपायों पर काम किया जा सकता है और क्षति को काफी कम किया जा सकता है।

अल्बर्ट इसरो और माइक्रोसॉफ्ट के संयुक्त साझेदारी के तहत काम कर रहे हैं। एक गैर-सरकारी संगठन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता निशांत ने कहा कि यह अपनी तरह का पहला प्रयास है। इससे बिहार, पंजाब, दिल्ली और आसपास के राज्यों के किसानों को काफी लाभ पहुंचेगा।

वैसे भी बिहार जैसे राज्यों में बाढ एक समस्या है और इसकी अग्रिम जानकारी अगर किसानों को मिल जाए, तो उनका नुकसान काफी कम हो जाएगा। उसी प्रकार अन्य राज्यों के किसानों को अगर बारिश की सूचना पहले मिल जाए, तो उस हिसाब से किसान रणनीति बना पाएंगे। इससे किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचेगा और नुकसान में काफी कमी भी आएगी।

First Published : July 29, 2008 | 12:49 AM IST