Categories: आईटी

डिजिटल कर पर जताई चिंता

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:38 AM IST

प्रमुख वैश्विक उद्योग संगठनों ने 2021-22 के बजट में दो फीसदी डिजिटल कर के दायरे में बढ़ोतरी को लेकर ‘कर अनिश्चितता’ की चिंताएं जाहिर की हैं। उन्होंने कहा है कि ‘बीती तिथि से संशोधन’ से भारत के नियामकीय माहौल में भरोसा कमजोर होगा और इसका भारत में कारोबारी सुगमता पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
वित्त पर संसद की स्थायी समिति के चेयरमैन जयंत सिन्हा को भेजे गए और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मार्क किए गए पत्र में मल्टी एसोसिएशन ने कहा कि इक्विलाइजेशन शुल्क के दायरे को बढ़ाने से ‘कर निश्चितता का सिद्धांत कमजोर होगा’ और इसका देश में विदेशी निवेश पर असर पड़ेगा। यह पत्र मंगलवार को वित्त विधेयक 2021-22 पारित होने से कुछ दिन पहले लिखा गया था।
पत्र में कहा गया है, ‘वित्त विधेयक में 1 अप्रैल, 2020 की पिछली प्रभावी तिथि का उल्लेख किया गया है। यह कर निश्चितता के सिद्धांत को कमजोर करता है और विदेशी कंपनियों के राजस्व पर पहले ही असामान्य कर के अनुपालन बोझ में और बढ़ोतरी कर रहा है। यह नितंरत जारी और बढ़ती अनिश्चितता विदेशी कंपनियों की क्षमता और भारत में निवेश की मंशा को प्रभावित करती है।’
इस मल्टी एसोसिएशन में यूस-इंडिया बिज़नेस काउंसिल, यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ), जापान मशीनरी सेंटर फॉर ट्रेड ऐंड इन्वेस्टमेंट (जेेएमसी), टेकयूके, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, अलाइड फॉर स्टार्टअप, एशिया इंटरनेट कोलिशन, एशिया पैसिफिक एमएसएमई टे्रड कोलिशन, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री काउंसिल (आईटीआई), इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया जापान इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन शामिल हैं। उद्योग की मांग के बावजूद सरकार ने वित्त अधिनियम में इक्विलाइजेशन शुल्क से मामूली राहत दी है।
सरकार ने दोहरे कराधान की उद्योग की चिंता दूर करने के लिए केवल उन मामलों में छूट दी है, जिनमें भारतीयों के स्वामित्व एवं परिचालन वाले माल एवं सेवाओं का कारोबार किसी विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर होता है।

First Published : March 24, 2021 | 11:43 PM IST