वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की अवधि एक साल बढ़ाने की घोषणा की है। यह योजना 2020-21 से 2024-25 के बीच 5 साल के लिए पेश की गई थी, जो अब 2025-26 तक वैध होगी। इससे उन विनिर्माताओं को राहत मिलेगी, जो पिछले एक साल के लॉकडाउन से प्रभावित हुए हैं।
मंत्री के मुताबिक विनिर्माताओं को पहले साल 2020-21 में बढ़े विनिर्माण पर 6 प्रतिशत प्रोत्साहन के दावे की अनुमति थी, अब उनके पास 2021-22 को पहला साल चुनने का विकल्प होगा।
इस कदम का मकसर उन कंपनियों को राहत प्रदान करना है, जो कोविड संबंधी व्यवधानों के कारण उत्पादन का स्तर नहीं बढ़ा सके थे। लॉकडाउन के कारण वस्तुओं लोगों की आवाजाही और आपूर्ति शृंखला संबंधी व्यधानों के चलते उनकी उत्पादन योजना में देरी हुई।
सीतारमण ने कहा, ‘कंपनियां बढ़े उत्पादन की शर्तें पूरी करने में सक्षम नहीं हो पाईं। उत्पादन गतिविधियों में व्यवधान, व्यक्तियों की आवाजाही सीमित होने और संयंत्र व मशीनरी लगाने में देरी व कल पुर्जों की आपूर्ति शृंखला में व्यवधान आया।’
भारत की लावा इंटरनैशनल के चेयरमैन हरिओम राय ने कहा कि इस विस्तार से पीएलआई के सभी लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी, जिसमें क्षमता बढ़ाना, नौकरियों का सृजन, और भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाना शामिल है।
ईवाई इंडिया के पार्टनर कुमार चौधरी ने कहा, ‘मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के लिए पीएलआई योजना बढ़ाया जाना स्वीकृत आवेदकों के लिए बड़ी राहत है। एक साल और वक्त दिए जाने से विनिर्माताओं को बेहतर तरीके से काम करने का मौका मिल सकेगा।’
इंडियन सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू के मुताबिक इससे स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और भारत को वैश्विक मूल्य शृंखला का अहम हिस्सा बनने में मदद मिलेगी।
इस उद्योग के विभिन्न हिस्सेदारों जैसे विनिर्माताओं और आईसीईए जैसे उद्योग संगठनों ने कई बार इसकी अवधि बढ़ाए जाने की मांग की थी, जिसके बाद आज की घोषणा सामने आई है।
यह योजना 2020 के मध्य में पेश की गई थी। स्मार्टफोन व कंपोनेंट के लिए 40,995 करोड़ रुपये की पीएलआई का लक्ष्य 5 साल में स्थानीय उत्पादन बढ़ाकर 10.5 लाख करोड़ रुपये करना और 6.5 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करना था। अब तक इस योजना के तहत वैश्विक दिग्गजों फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन, पेगाट्रॉन और सैमसंग व स्थानीय फर्मों जैसे लावा और माइक्रोमैक्स सहित अन्य को मंजूरी मिली है।