टोक्यो ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में ओलिंपिक साझेदार इंटेल के शानदार ड्रोन लाइटशो को हमेशा याद किया जाएगा। टोक्यो के ओलिंपिक स्टेडियम में 23 जुलाई को प्रतिभागी खिलाडिय़ों की परंपरागत परेड के बाद 1824 इंटेल ड्रोन का एक बेड़ा आयोजन स्थल के ऊपर आसमान में मंडराने लगा और उन्होंने विभिन्न ज्यामितीय आकारों का जटिल रूप अख्तियार करते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शानदार लाइट शो में ड्रोन देखते-ही-देखते टोक्यो 2020 के नीले एवं सफेद रंग के प्रतीक-चिह्न में ढल गए। अगली पीढ़ी के इन ड्रोन ने फिर दुनिया का एक विशाल 3डी प्रतिरूप पेश किया। ड्रोन ने उद्घाटन समारोह के कुछ सबसे शानदार पलों को आकार दिया। इंटेल के ड्रोन लाइट-शो एनिमेटरों ने टोक्यो 2020 की क्रिएटिव टीम के साथ मिलकर ऐसा समां बांधा कि लोगों के जेहन में यह समारोह लंबे समय तक के लिए यादगार बना रहेगा।
इंटेल के बिक्री एवं विपणन उपाध्यक्ष रिक इशेवेरिया कहते हैं, ‘इंटेल ने तकनीक को इन खेलों के साथ आत्मसात करने में ओलिंपिक आयोजन समिति के साथ मिलकर काम किया है।’ इंटेल ने न सिर्फ मुख्य स्पद्र्धा के समय बल्कि टोक्यो शहर के आधारभूत ढांचे को सुधारने और प्रशंसकों को डेटा-समृद्ध अनुभव देने में भी तकनीकी साझेदार के तौर पर काम किया है। खुद रिक भी ओलिंपिक खेलों के लिए उच्च तकनीकी समाधान पेश करने में इंटेल के महाप्रबंधक के तौर पर जुड़े रहे। वह कहते हैं, ‘टोक्यो ओलिंपिक के लिए विकसित कई तरह के नवोन्मेषी उत्पाद आगे चलकर खेलों से इतर भी हमारे व्यापक उद्देश्य को पूरा करने में मददगार होंगे।’
महज 340 ग्राम वजन के इंटेल प्रीमियम ड्रोन को मनोरंजक गतिविधियों के लिहाज से डिजाइन ही किया गया है। इनमें लगे चार एलईडी बल्ब बेहद साफ रोशनी बिखेरते हैं और उनकी चमक की किसी से तुलना हो पाना मुश्किल है। ड्रोन मंय रियल टाइम काइनेमेटिक (आरटीके) जीपीएस होने से वह ज्यादा रिजॉल्युशन वाले एनिमेशन के लिए ज्यादा सटीकता से पोजिशन कर पाता है, एकदम साफ बिम्ब तैयार कर लेता है और ज्यादा गतिशील 3डी एनिमेशन भी मिलता है।
इस साल के ओलिंपिक खेल में तकनीकी समाधानों का खुलकर प्रयोग देखने को मिले हैं। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान खेलों को निर्विघ्न संपन्न कराने में भी इन तकनीकी समाधानों की अहम भूमिका रही है। ओलिंपिक प्रसारण सेवा (ओबीसी) ने खेलों के प्रसारण में बड़ा तकनीकी बदलाव करते हुए हाई डेफिनिशन की जगह अल्ट्रा हाई डेफिनिशन (यूएचडी) और हाई डाइनेमिक रेंज (एचडीआर) में तब्दील कर दिया जिससे दर्शक खिलाडिय़ों के ज्यादा करीब महसूस कर पाए और ज्यादा उपकरण एवं वीडियो फॉर्मेट को सपोर्ट कर पाना भी मुमकिन हो सका। इसकी वजह से न सिर्फ दिल की धड़कनें थाम लेने वाले वीडियो सामने आए बल्कि अगली पीढ़ी के इमर्सिव ऑडियो भी दर्शकों को खेलों से करीबी जुड़ाव महसूस करने में मददगार बने।
टोक्यो खेलों के 5जी प्रोजेक्ट में इंटेल के अलावा एनटीटी और एनटीटी डोकोमो भी शामिल रहे। ओलिंपिक आयोजन समिति की पहल पर शुरू इस प्रोजेक्ट ने 5जी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेल स्पद्र्धाओं को देखने का एकदम नया अनुभव दर्शकों एवं आयोजकों को दिया।
5जी तकनीक की वजह से मिलने वाली उच्च क्षमता एवं स्पीड से अल्ट्रा-हाई-रिजॉलूशन वीडियो की लाइव स्ट्रीमिंग कर पाना मुमकिन हुआ। इसके अलावा संवद्र्धित वास्तविकता (एआर) का अहसास दिलाने वाले अनुभव भी हुए। टोक्यो 2020 के 5जी प्रोजेक्ट का इस्तेमाल खेलों के दौरान तैराकी, नौकायन एवं गोल्फ स्पद्र्धाओं में किया गया।
हालांकि कोविड-19 महामारी की वजह से दर्शकों को स्टेडियमों के भीतर जाने की मनाही होने से 5जी तकनीक का पूरा असर नहीं महसूस हो पाया। लेकिन प्रसारण में एआर एवं वीआर के इस्तेमाल ने टीवी एवं मोबाइल फोन पर मुकाबले देखने वाले दर्शकों को इससे रूबरू जरूर कराया।
मसलन एक तैराकी स्पद्र्धा में अगर 10 खिलाड़ी शिरकत कर रहे हैं तो एक बड़ी स्क्रीन पर ग्राफिक के रूप में संवद्र्धित वास्तविकता पेश की जाती है। मीडिया तकनीक विशेषज्ञ प्रसून ठाकुर इसे एक नया अनुभव बताते हैं। ओलिंपिक प्रसारण सेवा ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मौजूद प्रशंसकों को खेल स्पद्र्धाओं के दौरान सीधे संवाद के भी हालात पैदा किए। इसकी वजह से प्रसारण अधिकार रखने वाले प्रसारक भी सीधे खेल प्रशंसकों को अपने साथ जोड़ पाए।
टोक्यो ओलिंपिक खेलों में रोबोट का इस्तेमाल भी खूब देखने को मिला। टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के बनाए ‘भविष्योन्मुखी’ रोबोट्स ने आयोजन स्थलों पर आने वाले दर्शकों, खिलाडिय़ों एवं अधिकारियों की मदद करने के साथ ही आवाज, तस्वीर एवं भौतिक फीडबैक प्रसारित करने में भी योगदान दिया। इस तरह के दो रोबोट ओलिंपिक स्थलों से दूर वाली जगहों से तस्वीरें एवं आवाजें भेज रहे थे और दूर बैठे दर्शक ओलिंपिक खिलाडिय़ों से बात भी कर पा रहे थे। इस दौरान प्रशंसकों को यही आभास होता था कि वे उस समय आयोजन स्थल पर ही मौजूद हैं।
ठाकुर कहते हैं, ‘कई रोबोट एवं तकनीकों का इस्तेमाल कई तरह के डेटा जुटाने के लिए किया गया। इनमें से कई का तो कहीं जिक्र भी नहीं आएगा क्योंकि वे खास मकसद से बनाए गए थे और कई बार उन पर किसी का मालिकाना हक भी होता है।’
उनके मुताबिक, टोक्यो ओलिंपिक खेलों के दौरान बने कंटेंट में 2.7 टेराबाइट की अंतरराष्टï्रीय बैंडविड्थ का इस्तेमाल हुआ जो कि पिछले ओलिंपिक खेलों में इस्तेमाल बैंडविड्थ की सात गुना है। एक और दिलचस्प तकनीक 3डी एथलीट ट्रैकिंग (3डीएटी) की रही जो अपनी तरह का पहला प्लेटफॉर्म है।
यह तकनीक उन्नत कृत्रिम मेधा और कंप्यूटर विजन मोशन ट्रैकिंग क्षमताओं को मैदान पर लेकर आती है। इसमें कई कैमरों से मिलने वाले वीडियो को इंजेस्ट करने के बाद भाव-भंगिमा का अनुमान एवं बायो-मैकेनिक्स एल्गोरिद्म की मदद से खिलाडिय़ों का 3डी प्रतिरूप तैयार किया जाता है। इससे हासिल सूचना का इस्तेमाल खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण और प्रसारण में भी किया जा सकता है। टोक्यो ओलिंपिक की 100 मीटर एवं 200 मीटर फर्राटा दौड़ के अलावा चार गुणा 100 मीटर रिले और बाधा दौड़ स्पद्र्धाओं के रिप्ले में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया।