गोवा में आयोजित तीसरे डाटाक्वेस्ट(आईडीसी) सर्वे में दिल्ली को सर्वश्रेष्ठ ई-गवर्नेंस राज्य घोषित किया गया है।
इसके अलावा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और केरल भी श्रेष्ठ पांच ई-गवर्नेंस राज्यों में शामिल हैं। उल्ल्लेखनीय है कि सर्वे देश के 20 राज्यों में किया गया, जिनमें हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब भी श्रेष्ठ पांच ई-गवर्नेंस राज्यों में शामिल हैं। इसके विपरीत झारखंड को सबसे खराब राज्यों की श्रेणी में रखा गया है। इस श्रेणी में इन राज्यों के बाद हरियाण, पश्चिम बंगाल, गुजरात और पंजाब को शामिल किया गया है।
आईटी हब के तौर पर मशहूर कर्नाटक को 2007 में डाटाक्वेस्ट-आईडीसी के एक सर्वे में ई-गवर्नेंस के लिए दूसरे स्थान पर रखा गया था, लेकिन वर्ष 2008 के सर्वे में यह खिसककर नौवें स्थान पर आ गया है। छत्तीसगढ़, केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने अपनी रैंकिंग में काफी सुधार किया है। इस सर्वे में एक और दक्षिण राज्य आंध्रप्रदेश भी अपने पिछले रैंक पांच से फिसलकर आठवें स्थान पर आ गए हैं।
गुजरात के रैंक में काफी गिरावट दर्ज की गई है। गुजरात चार से लुढ़ककर 19 वें स्थान पर आ गया है। लेकिन इस लिहाज से तमिलनाडु के रैंक में सुधार देखा गया है। पिछले साल के सर्वे में तमिलनाडु को आठवां स्थान मिला था, लेकिन अब इसकी रैंकिंग सुधर कर 4 हो गई है। कॉरपोरेट और बिजनेस हाउसों ने तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ को व्यापार के लिए सर्वोत्तम करार दिया है। व्यापार के संतुष्टि स्तरों में इन दोनों राज्यों के बाद दिल्ली, महाराष्ट्र और केरल को रखा गया है।
डाटाक्वेस्ट के मुख्य संपादक प्रांशत के रॉय ने कहा कि हम राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर नागरिकों की संतुष्टि को ध्यान में रखते हैं। उद्योगों के जानकारों का मानना है कि कर्नाटक में जो पिछली दो सरकारें सूचना प्रौद्योगिकी को बतौर अच्छे गवर्नेंस के लिए इस्तेमाल करने में विफल रही। एक उद्योगी के मुताबिक राज्य की राजनीतिक अस्थिरता और मिली जुली सरकार रहने के कारण इस तरह के कमजोर रिपोर्ट आए हैं।
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त सचिव (ई-गवर्नेंस) आर चंद्रशेखर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य की उदासीनता के कारण केंद्र भी इस संदर्भ में कोई मदद नहीं कर सका। उन्होंने बताया कि मात्र 10 ऐसे राज्य रहे, जिसने काफी उत्सुकता दिखाई और वे ई-गवर्नेंस में अच्छा कर पाए। 10 और राज्य जो इस रैंकिंग में पीछे थे, लेकिन ई-गवर्नेंस से जुड़ी परियोजनाओं को काफी तन्मयता से लागू कर पाने के कारण उनकी रैंकिंग में सुधार आया है।
10 ऐसे भी राज्य हैं, जिसे अपनी निंद्रा तोड़नी है और विकास के पथ की एक नई कहानी गढ़नी है। उन्होंने इस संदर्भ में राज्यों की केवल संख्या बताया और उनके नाम बताने से परहेज किया।
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक सरकारी विभागों में आयकर विभाग और उत्पाद शुल्क विभाग ने लगभग सभी राज्यों में अपनी उल्लेखनीय सेवा देने में सफल रहे। इन विभागों ने इन राज्यों में अपना अच्छा प्रदर्शन किया। भूमि रिकॉर्ड, यातायात और संपत्ति पंजीकरण विभागों के मामले में अभी इन राज्यों में बहुत सारा काम करना बाकी है।