facebookmetapixel
Stock Market Today: गिफ्ट निफ्टी से पॉजिटिव संकेत, एशिआई बाजारों में तेजी; आज चढ़ेगा या गिरेगा बाजार ?क्विक कॉमर्स में मुनाफे की नई दौड़ शुरू! मोतीलाल ओसवाल ने Swiggy और Eternal पर जारी किए नए टारगेट्सIRDAI की नजर स्वास्थ्य बीमा के दावों पर, निपटान राशि में अंतर पर चिंताPNB, केनरा और इंडियन बैंक भी करेंगे बॉन्ड मार्केट में प्रवेश, धन जुटाने की तैयारीजीएसटी सुधार से FY26 में भारत की GDP ग्रोथ 7.4% तक पहुंचेगी: NIPFPबैंकिंग घोटाले के बाद IndusInd Bank का सख्त फैसला, वेतन व बोनस रिकवर की प्रक्रिया शुरूStocks To Watch Today: Tata Motors, JSW Energy से लेकर Tata Power तक, आज किस कंपनी के स्टॉक्स में दिखेगा एक्शन; चेक करें लिस्टसरकार की कर वसूली में तेजी, लेकिन रिफंड जारी करने में सुस्तीदूसरे चरण के लोन पर कम प्रावधान चाहें बैंक, RBI ने न्यूनतम सीमा 5 फीसदी निर्धारित कीभारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द सहमति की उम्मीद, ट्रंप बोले—‘हम बहुत करीब हैं’

महामारी के दौरान डेटा सेंधमारी की लागत पहुंची उच्च स्तर पर

Last Updated- December 12, 2022 | 2:18 AM IST

डेटा सेंधमारी के संबंध में अब कंपनियों की लागत ऐसे प्रत्येक मामले में औसतन 42.4 लाख डॉलर है। आईबीएम के वैश्विक अध्ययन में ऐसा पाया गया है। रिपोर्ट के 17 साल के इतिहास में यह सर्वाधिक लागत है। यह निष्कर्ष पोनमोन इंस्टीट्यूट द्वारा संचालित वार्षिक कॉस्ट ऑफ डेटा ब्रीच रिपोर्ट का हिस्सा थे, जिसका प्रायोजन और विश्लेषण आईबीएम सिक्योरिटी द्वारा किया गया था।
500 से अधिक संगठनों द्वारा अनुभव की गई वास्तविक जगत की डेटा सेंधमारी के गहन विश्लेषण पर आधारित इस अध्ययन से पता चलता है कि लागत में पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत की वृद्धि होने से महामारी के दौरान भारी परिचालन बदलाव के कारण सुरक्षा की घटनाएं अधिक महंगी और मुश्किल हो गईं।
भारत के मामले में वर्ष 2021 के दौरान डेटा सेंधमारी की औसतन कुल लागत 16.5 करोड़ रुपये थी और इसमें वर्ष 2020 से 17.85 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
पिछले साल कारोबारों को अपने प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण में शीघ्रतापूर्वक सुधार के लिए विवश होना पड़ा था, क्योंकि कई कंपनियां कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी या ऐसा करने की अपेक्षा थी तथा महामारी के दौरान 60 प्रतिशत संगठन क्लाउड आधारित गतिविधियों की दिशा में बढ़ रहे थे। नए निष्कर्ष बताते हैं कि डेटा सेंधमारी का जवाब देने के लिए संगठनों की क्षमता में अड़चन डालते हुए सूचना प्रौद्योगिकी के इन तीव्र परिवर्तनों में सुरक्षा संभवत: पिछड़ सकती है। आईबीएम टेक्नोलॉजी सेल्स (भारत/दक्षिण एशिया) के सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर सेल्स लीडर प्रशांत भटकल का कहना है ‘दूरस्थ कार्य के प्रति तेजी से बदलाव में सुरक्षा कार्यक्रमों में जबरदस्त व्यवधान देखा गया है। संगठन ऑनलाइन होने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और सुरक्षा बाद की चीज बन गई थी। महामारी के दौरान भारत में डेटा सेंधमारी में रिकॉर्ड उच्च स्तर देखा गया, जिसकी वजह से कई संगठनों को अपनी सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करना पड़ा। एआई को अपनाने, सुरक्षा विश्लेषण और जीरो ट्रस्ट दृष्टिकोण लागू करने समेत आधुनिकीकरण से डेटा सेंधमारी से जुड़ी लागत में काफी कमी आई है। उन उपायों को सीखना और लागू करना महत्त्वपूर्ण है, जिन्होंने किसी सेंधमारी के होने पर संगठनों का काफी पैसा बचाया है, इनमें जीरो ट्रस्ट, स्वचालन, हाइब्रिड क्लाउड और इन्क्रिप्शन लागू करना शामिल है।’

First Published - July 29, 2021 | 12:29 AM IST

संबंधित पोस्ट