टिकटॉक समेत तमाम प्रतिबंधित चीनी मोबाइल ऐप के गुमनाम से नजर आने वाले क्लोन अब भारत में दोबारा डाउनलोड किए जा रहे हैं। छोटे शहरों में इन्हें जमकर डाउनलोड किया जा रहा है। पिछले महीने के अंत में टिकटॉक समेत 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद स्नैक वीडियो, लाइकी लाइट और जिलि जैसे चीन के वीडियो ऐप भारत में गूगल प्ले स्टोर पर शीर्ष 10 डाउनलोड होने वाले ऐप में शामिल हो गए हैं। सोशल मीडिया के जानकारों के मुताबिक इन ऐप को फायदा मिल रहा है क्योंकि छोटे शहरों में रहने वाले इनके अधिकांश उपयोगकर्ताओं को यह नहीं पता है कि ये ऐप मूल रूप से किस देश के हैं। ऐसा तब है जबकि प्रतिबंध के बाद चिंगारी और रोपोसो जैसे भारतीय वीडियो ऐप को लोगों का भारी समर्थन मिला है।
बेंगलुरू स्थित इन्फ्लुएंशियल मार्केटिंग फर्म विंकल के सीईओ और सह संस्थापक राहुल सिंह कहते हैं, ‘दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों के अनेक उपयोगकर्ता नहीं जानते कि ये नए ऐप चीन आधारित हैं। उन्हें इनके बारे में बताना पड़ता है। देसी ऐप को लेकर कुछ हद तक देशप्रेम की भावना है लेकिन ज्यादातर लोगों को अभी भी भारत में बने ऐप की चाह नहीं है। ट्रैफिक भी इस बात पर निर्भर है कि आपके दोस्त कहां हैं और रिवॉर्ड में क्या मिल रहा है?’
तकनीकी क्षमताओं के मामले में भी ये चीनी ऐप आगे हैं और वे लोगों की फीड पर पर्सनलाइज्ड कंटेंट डालने के लिए रियल टाइम अलगोरिदम और एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिंह कहते हैं, ‘अगर कोई भारतीय ऐप उसी क्षमता से काम करना चाहती है तो उसे ढेर सारी इंजीनियरिंग और संसाधनों की आवश्यकता होगी। परंतु चीन की कंपनियों ने पहले ही बढ़त बना ली है और अब भारतीय कंपनियों को उन्हें पछाडऩा है।’
कॉर्पोरेट अधिवक्ता और स्टार्टअप सलाहकार फर्म डोल्स विटा ट्रस्टी के साझेदार सुमित कोछड़ कहते हैं, ‘भारत में टिकटॉक पर प्रतिबंध ने स्थानीय वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म को अवसर प्रदान किया लेकिन हालात का लाभ लेने के लिए इन कंपनियों को तकनीक, फीचर और वित्तीय क्षेत्र में चीन की कंपनियों का मुकाबला करना होगा।’
स्नैक वीडियो नि:शुल्क डाउनलोड चार्ट में शीर्ष पर है और इसका स्वामित्व टेनसेंट समर्थित चीनी कंपनी क्वाइशोई के पास है। लाइकी लाइट प्रतिबंधित लाइकी ऐप का ही संस्करण है जिसकी मालिक चीन की कंपनी जॉय इंक है। वहीं जिलि को स्मार्ट फोन निर्माता कंपनी शाओमी ने विकसित किया है। प्ले स्टोर पर मौजूदा निजता नियम के अनुसार इनमें से हर ऐप का कम से कम एक डेटा सेंटर चीन में है। उसमें यह भी लिखा है कि वे कानूनी तरीके से उपयोगकर्ता के आंकड़ों को उसके मूल देश से बाहर भी भेज सकती हैं।