दूरसंचार विभाग दूरसंचार कंपनियों के कड़े विरोध के बाद 5जी के भारत केंद्रित अलग मानक- 5जीआई को बढ़ावा देने की अपनी विवादास्पद योजना टालने जा रहा है। इससे दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। सरकार समर्थित टेलीकॉम स्टैंडर्ड डेवलपमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया (टीएसडीआई) ने दूरसंचार विभाग के तहत आने वाले दूरसंचार इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) को 25 जनवरी को सूचित किया कि 5जीआई को राष्ट्रीय मानक के रूप में अपनाने की प्रक्रिया पर आगे नहीं बढ़ा जाए।
टीएसडीआई ने अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) को सूचित किया कि वह तीसरी पीढ़ी की साझेदारी परियोजना (3जीपीपी) द्वारा तय वैश्विक 5जी मानकों का पालन करेगी और उम्मीद करती है कि उसके अपने 5जीआई मानकों का अगले वैश्विक सम्मेलन में इसमें विलय हो जाएगा। इसने यह भी साफ कर दिया है कि वह 5जीआई पर आगामी अपडेट के लिए कोई प्रस्ताव नहीं सौंपना चाहती।
दूरसंचार कंपनियों ने इस प्रस्ताव पर हंगामा खड़ा कर दिया था। उनका कहना था कि अलग भारतीय मानक से उनकी नेटवर्क लागत और मोबाइल उपकरणों की कीमत बहुत बढ़ जाएगी क्योंकि भारत के लिए विशेष चिपसेट बनानी होंगी और देश दुनिया भर में बड़े पैमाने पर होने वाले उत्पादन के कारण लागत में कमी का लाभ नहीं उठा पाएगा। इस प्रस्ताव से अन्य वैश्विक नेटवर्कों के साथ परिचालन भी गंभीर समस्या बन जाएगी, जिससे दुनिया भर में बिना रुकावट रोमिंग जैसी सेवाओं पर असर पड़ेगा। कंपनियों ने यह भी कहा कि इससे दुनिया में 5जी दूरसंचार उपकरण और मोबाइल उपकरण विनिर्माण का केंद्र बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा पूरी नहीं हो पाएगी। 5जी के परीक्षणों के तहत दूरसंचार कंपनियों से 5जीआई मानकों का भी परीक्षण करने को कहा गया था। ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों से इस तकनीक की खूबियों और खामियों के बारे में प्रस्तुति देने को कहा था।
टीएसडीआई आईआईटी और शोध केंद्रों के साथ मिलकर एक अलग मानक की पहल की अगुआई कर रही है। हालांकि इसने आईटीयू और टीईसी से कहा है कि वह उम्मीद करती है कि वैश्विक मानक में 5जीआई मानक के विलय के दिसंबर में सौंपे गए प्रस्ताव को मार्च में आगामी वैश्विक बैठक में स्वीकार कर लिया जाएगा।
इसके बाद टीएसडीआई 3जीपीपी को सभी बाजारों को एकसमान समाधान से मदद देने की मंजूरी देगी और 5जीआई पर कोई आगामी अपडेट नहीं सौंपेगी।
हालांकि टीडीएसआई 5जी के लिए भारतीय मानक पर जोर दे रही थी। इसने कहा था कि यह भारतीय स्थितियों के अनुकूल है क्योंकि इसे ग्रामीण इलाकों में कारगर रहने के लिए डिजाइन किया गया है। टीडीएसआई ने कहा था कि इससे पूरे देश में स्वदेशी तकनीक आधारित किफायती ब्रॉडबैंड सेवाएं सुनिश्चित होंगी। मगर भारतीय मानकों को 3जीपीपी में वैश्विक दिग्गज कंपनियों का समर्थन नहीं मिला क्योंकि इन देशों में से ज्यादातर में बड़ी ग्रामीण आबादी नहीं है। एक दूरसंचार कंपनी के कार्याधिकारी ने भारतीय मानक को बढ़ावा दिए जाने की संभावित चुनौती के बारे में कहा कि ये दोनों पूरी तरह अलग हैं। अधिकारी ने कहा, ‘3जीपीपी और 5जीआई 5जी के लिए दो अलग-अलग मानक हैं। यह सीडीएमए और जीएसएम में से किसी एक को चुनने के समान है। अगर हम 5जीआई को अपनाते तो भारत सबसे अलग पड़ जाता।’