सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के जरिये ‘मेक इन इंडिया’ के लिए एक अहम कदम उठाते हुए डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने ठेके पर लैपटॉप बनाने के वास्ते ताइवान की एसर इंक के साथ करार किया है। डिक्सन राजस्व के लिहाज से देश की सबसे बड़ी और दुनिया में 20वीं ईएमएस कंपनी है। सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में लैपटॉप देसी बाजार और बाद में संभवत: निर्यात के लिए भी बनाए जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि योजना के तहत डिक्सन शुरुआत में हर साल भारत में स्थित अपने संयत्र में एसर के 5 लाख लैपटॉप बनाएगी। शुरुआती चरण में इस संयंत्र की सालाना क्षमता करीब 7 लाख पीसी बनाने की होगी, जिसे अगले चरण में बढ़ाकर 10 लाख किया जाएगा। उत्पादन इस साल दिसंबर में शुरू होने की संभावना है। कंपनी हर साल 20 लाख टैबलेट बनाने की क्षमता का संयंत्र भी स्थापित कर रही है और वैश्विक कंपनियों के साथ लंबी अवधि के करारों के लिए बातचीत चल रही है। हालांकि डिक्सन ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
ईवाई और आईसीईए की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में भारत ने 4.21 अरब डॉलर के लैपटॉप का आयात किया, जो अमेरिका के 4.85 अरब डॉलर के सालाना लैपटॉप बाजार का 86 फीसदी था। इसमें से 87 फीसदी आयात एक ही देश-चीन से हुआ। इतना ही नहीं, भारत का लैपटॉप आयात पिछले पांच साल में 42 फीसदी बढ़ा है। यह 2.97 अरब डॉलर से बढ़कर 4.1 अरब डॉलर हो गया है। एचपी, डेल और लेनोवो जैसी कुछ गिनी-चुनी कंपनियां स्थानीय स्तर पर सीमित मात्रा में खुद या किसी तीसरे पक्ष से विनिर्माण कराती हैं। सरकार के अनुमानों के मुताबिक भारत में मूल्य संवर्धन 5-10 फीसदी से अधिक नहीं है।
डिक्सन आईटी हार्डवेयर पीएलआई की पात्र कंपनियों में से एक है। पीएलआई के तहत सरकार विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन मुहैया कराती है। सरकार ने इस योजना के तहत 19 वैश्विक और घरेलू कंपनियों को मंजूरी दी है, जिन्होंने चार साल में 1,60,000 करोड़ रुपये से अधिक के उत्पादन का वादा किया है। इन कंपनियों ने 37 फीसदी मूल्य के माल के निर्यात की भी प्रतिबद्घता जताई है। हालांकि ये प्रोत्साहन न केवल निवेश एवं अतिरिक्त उत्पादन बल्कि मूल्य संर्वधन के विभिन्न चरणों के लिए भी हैं ताकि इसे वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 25 फीसदी तक पहुंचाया जा सके। आईडीसी के मुताबिक 2021 की दूसरी तिमाही में भारत में एसर की पीसी (नोटबुक, डेस्कटॉप और वर्क स्टेशन) बाजार हिस्सेदारी 9.7 फीसदी रही। यह एचपी इंक, डेल और लेनोवो के बाद देश में चौथी सबसे बड़ी पीसी कंपनी है। आईडीसी के मुताबिक कंपनी ने 2021 की दूसरी तिमाही में बिक्री में सालाना आधार पर 31.6 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की। इसे नोटबुक खंड में तगड़ी बिक्री का फायदा मिला।